महाराष्ट्र में एक महीने से चल रहे सियासी ड्रामे का पारा शनिवार, 23 नवंबर को और चढ़ गया। जब सुबह-सुबह देश को अचानक ये खबर मिली कि महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया है और भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री और एनसीपी की ओर से अजित पवार उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। विरोधी दल शिवसेना और कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध करना शुरू किया गया है। सवाल उठने लगे कि अचानक इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया गया है कब और कैसे आधी रात राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला हो गया? मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है। रविवार से इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई है। बात आई कि नियम 12 (Rule 12) की मदद से महाराष्ट्र में अचानक राष्ट्रपति शासन हटाया गया। सवाल है कि नियम 12 है क्या? ये सरकार को क्या अधिकार देता है? क्या है नियम 12 यह भारत सरकार (कार्य संचालन) नियम 1961 (Government of India Transaction of Business rules 1961) के जरिये आता है। इस नियम के तहत देश के प्रधानमंत्री के पास ये अधिकार है कि यदि उन्हें जरूरी लगे तो वे इन नियमों की अनदेखी कर सकते हैं। नियम 12 के तहत लिए गए फैसले पर मंत्रिमंडल बाद में मंजूरी दे सकता है। इसी नियम की मदद से मंत्रिमंडल की मंजूरी के बिना महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाया गया। जम्मू-कश्मीर मामले में भी हुआ नियम 12 का इस्तेमाल? महाराष्ट्र से पहले केंद्र सरकार द्वारा नियम 12 के इस्तेमाल का ताजा उदाहरण जम्मू-कश्मीर है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठित करने के लिए 31 अक्तूबर 2019 को नियम 12 का प्रयोग किया गया। बाद में 20 नवंबर को मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दी थी। क्या हुआ था महाराष्ट्र में? शनिवार, 23 नवंबर की सुबह 5.47 बजे भारत सरकार के राजपत्र में महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाए जाने की अधिसूचना छपी। इसका मतलब साफ है कि राष्ट्रपति ने इसके लिए जरूरी दस्तावेज पर इस समय से पहले ही हस्ताक्षर किए होंगे।अधिसूचना छपने के लगभग दो घंटे बाद ही देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के पद की शपथ ले ली। Gauhati High Court में सिस्टम सहायक के पदों पर भर्तियां, अभी करे आवेदन प्रोजेक्ट असिस्टेंट के पदों पर बम्पर वैकेंसी, सैलरी 12000 रु चिकित्सक के पदों पर जॉब ओपनिंग, जानिए आयु सीमा