श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश में हालात 1947 के समय की ओर बढ़ रहे हैं। महबूबा मुफ्ती ने बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को लेकर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है, और बुनियादी ढांचे जैसे सड़क और गलियों पर ध्यान देने के बजाय धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है। महबूबा मुफ्ती ने संभल में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि वहां निर्दोष लोगों, जो केवल अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए काम कर रहे थे, पर गोलियां चलाई गईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यदि कोई सवाल करता है, तो उसे जेल में डाल दिया जाता है। उमर खालिद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि चार साल से वह जेल में हैं और न्याय नहीं मिल रहा है। महबूबा ने अजमेर शरीफ दरगाह की सांस्कृतिक और धार्मिक एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह दरगाह 800 साल पुरानी है और हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी इसके पास जाते हैं। यह हमारे देश की गंगा-जमुनी तहजीब की निशानी है। उन्होंने चिंता जताई कि यह स्थिति कब तक जारी रहेगी और चुनाव प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि मतदान के दौरान कुछ और दिखता है, लेकिन परिणाम कुछ और आते हैं। महबूबा मुफ्ती ने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचारों की ओर भी ध्यान दिलाया और कहा कि यहां भी अल्पसंख्यकों के साथ ज्यादती की जा रही है। उन्होंने पूछा कि दोनों परिस्थितियों में क्या फर्क है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बांग्लादेश को आजाद कराने में इंदिरा गांधी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन वहां और यहां के हालात चिंताजनक हैं। उनका कहना था कि जनता को जागरूक होना पड़ेगा और इस स्थिति को बदलने के लिए कदम उठाने होंगे। ईसाईयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने की इस भारतीय संत की तारीफ संभल की मस्जिद, जुम्मे का दिन..! मौलाना, उसके भाई ने नाबालिग बच्ची को दबोचा और... विवादित मस्जिदों के बचाव में उतरी कांग्रेस, पूर्व CJI चंद्रचूड़ पर साधा निशाना