नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निजता के फैसला पर केंद्र सरकार की उस दलील को बड़ा झटका लगा है, जिन्होंने कहा था कि निजता मौलिक अधिकार नहीं है. लेकिन कोर्ट ने इसे नागरिक का मौलिक अधिकार बताया, तो चलिए जानते है कोर्ट के इस फैसले के मायने.. कोर्ट के फैसले के मायने - 1. इस फैसले से आधार स्कीम के नाम से होने वाली निजता के उल्लंघन को चुनौती दी जा सकती है. 2. कोर्ट का यह फैसला व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को भी चुनौती दे सकता है. 3. याचिकाकर्ताओं का प्राइवेसी के मुद्दे को लेकर मानना था कि राइट टू प्राइवेसी एक जन्मजात और कभी ना छिने जाने वाला मौलिक अधिकार है. 4. यहां तक की याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि आजादी का अधिकार में निजता का भी अधिकार शामिल है, यह एक नेचुरल राइट है. 5. याचिकाकर्ताओं के समूह ने प्राइवेसी के अतिक्रमण के तौर पर आधार कार्ड के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने को भी चैलेंज किया, साथ ही डाटा उल्लंघन पर भी अपनी चिंता जाहिर की है. 6. हालांकि केंद्र प्राइवेसी को अज्ञात और अव्यस्थित अधिकार बताया था, जिससे कि गरीबों को जीवन जीने के अधिकार राइट टू फूड, राइट टू शेल्टर से वंचित करने वाला कहा है 7. वही इससे पहले की सुनवाई में देश के अटॉर्नी जनरल कोर्ट में यह कह चुके है कि, राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकार के तहत नहीं लाया जा सकता है. 8. 10000 लोगों पर किये गए सर्वे के अनुसार, ज्यादातर लोगों ने अपनी निजता के विषय पर चिंता ज़ाहिर की है कि, उनकी प्राइवेसी सुरक्षित रहे इसकी निगरानी के लिए कानून की जरूरत है. 9. इस सर्वे में अधिकतर लोग प्राइवेसी कानून के तरफ है, लोगों का कहना है कि डिजिटल समय में उनका डाटा सुरक्षित रहना चाहिए. जॉब और करियर से जुडी हर ख़बर न्यूज़ ट्रैक पर सिर्फ एक क्लिक में, पढिये कैसे करे जॉब पाने के लिए तैयारी और बहुत कुछ. DU में अब भी है इन कोर्सेज की सीट खाली, जल्द करें आवेदन MPSC मेघालय ने 12 वी पास वालो के लिए निकाली भर्ती मेघालय NIT ने कई पदों पर निकाली भर्ती