भाई कार्तिकेय ने बनाया था भगवान गणेश को एकदन्त

भगवान से जुडी कई कथाएँ हैं जो सुनने में अजीब और हैरान कर देने वाली लगती हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान गणेशा के एकदन्त होने की कथा. आइए जानते हैं.

पहली कथा के अनुसार परशुराम से युद्ध में टूटा दांत - भगवान गणेश को एकदंत इसलिए कहा जाता है क्‍योंकि उनका एक दांत टूटा हुआ है. ये दांत किसने तोड़ा उससे जुड़ी अलग-अलग पौराणिक कथाएं हैं. सबसे प्रचलित कथा गणेश और परशुराम की लड़ाई से जुड़ी है. एक बार परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे लेकिन द्वार पर खड़े गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया. परशुराम ने गणेश जी से काफी विनती की लेकिन वो नहीं माने आखिरकार परशुराम ने गणपति को युद्ध की चुनौती दी. इस चुनौती को स्वीकार करते हुए गणेश जी ने युद्ध किया लेकिन इस दौरान परशुराम के फरसे के वार से उनका एक दांत टूट गया और वे एकदंत कहलाए.

भाई कार्तिकेय जी ने तोड़ा दांत - दूसरी कथा के अनुसार परशुराम नहीं भाई कार्तिकेय की वजह से गणेश जी का दांत टूटा था. इस कथा में कहा दया है कि बचपन में गणेश जी बहुत शैतानी किया करते थे जबकि उनके बड़े भाई कार्तिकेय काफी सरल स्वभाव के थे. दोनों भाईयों के विपरीत स्‍वभाव के चलते शिव-पार्वती काफी परेशान रहते थे, क्‍योंकि गणेश जी कार्तिकेय को बहुत परेशान करते थे. ऐसे ही एक झगड़े में कार्तिकेय ने भगवान गणेश को सबक सिखाने का निश्‍चय किया और उन्होंने गणपति की पिटाई कर दी जिससे उनका एक दांत टूट गया और तभी से भगवान गणेश एकदंत कहलाए.

अपने दांत से बना ली कलम - तीसरी कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने के समय गणेश जी के आगे शर्त रखी थी कि वो बोलना नहीं बंद करेंगे, यानि वे लगातार बोलेंगे और गजानन को बिना रुके लिखेंगे ऐसे में गणेश जी ने अपना एक दांत खुद ही तोड़कर उसे कलम बना लिया. तभी से वे एकदंत कहलाए जाने लगे. इस तरह से श्री गणेश के एकदंत बनने के पीछे अलग-अलग पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं.

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