ज्योतिष के मुताबिक नवरात्रि का बहुत महत्व है लेकिन क्या आपको पता है की नवरात्री का त्यौहार रात में ही क्यों मनाते है. रात के समय देवियों की शक्ति का एक विशेष महत्व है. प्राचीन काल में जब ऋषि मुनि तपस्या करते थे, तो उन्हें सिद्धि रात में ही प्राप्त होती थी तथा वह अपनी शक्तियों का प्रयोग अधिकतर रात में ही किया करते थे. वैसे कहा जाता है की सूर्यउदय होते ही बुरी शक्तियां नष्ट हो जाती है और सूर्यास्त होते ही बुरी शक्तियां फिर से जन्म लेती है, आज हम इसी के बारे बात करेंगे की नवरात्रि, शिवरात्री, दीपावली जैसे त्यौहार रात में ही क्यों मनाते है- नवरात्रि का एक विशेष महत्व है की यह त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है. पहले त्यौहार पर चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पहली तिथि पड़ती है इस तिथि में पड़ने वाला नवरात्री का त्यौहार नौ दिनों तक मनाते है. इस नवरात्री के ठीक छः महीने बाद शुक्ल मास के दिन दूसरी नवरात्रि आती है, और नवरात्रि के एक दिन बाद विजयादशमी मनाते है. आपको बता दें की सिद्धि और साधना की द्रष्टि से शारदीय नवरात्रों की ज्यादा मान्यता है. इन नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं, नवरात्रों में शक्ति के 51 पीठों पर भक्तों का समुदाय बड़े उत्साह से शक्ति की उपासना के लिए एकत्रित होता है और जो उपासक इन शक्ति पीठों पर नहीं पहुंच पाते वे अपने निवास स्थल पर ही शक्ति का आह्वान करते हैं. आज कल के पंडित और साधु-महात्मा भी अब नवरात्रों में पूरी रात जागना नहीं चाहते और ना ही आलस्य को त्यागना चाहता है. आज कल बहुत कम उपासक ही आलस्य को त्याग कर आत्मशक्ति, मानसिक शक्ति और यौगिक शक्ति की प्राप्ति के लिए रात्रि के समय का उपयोग करते हैं. नवरात्री में इन रंगो को पहन कर खेले गरबा नवरात्री में वास्तु के अनुसार करे माँ की पूजा विजयदशमी मनाने के पीछे क्या है कारण? जानें इस खबर से जानिए क्या है माँ ब्रम्ह्चारिणी की पूजा करने का तरीका