नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र आरम्भ हो गया है, तथा इस सत्र में वक्फ बोर्ड से संबंधित नया विधेयक पेश किया जा सकता है। यह विधेयक पहले मॉनसून सत्र में लोकसभा में पेश किया गया था। हालांकि, चर्चा के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था। जेपीसी की बैठक के चलते इस विधेयक पर कई बार तीखी बहस तथा हंगामा हुआ। अब जब यह संसद में पेश होगा, तो एक बार फिर इसे लेकर राजनीतिक दलों और विभिन्न संगठनों के बीच टकराव की संभावना है। विधेयक में संशोधन की जरूरत क्यों है? 1954 में लागू वक्फ अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन तथा नियंत्रण के लिए बनाया गया था। हालांकि, सरकार का दावा है कि मौजूदा कानून में कई खामियां हैं, जो वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रबंधन में बाधा बनती हैं। इस कारण नए विधेयक के माध्यम से सुधार का प्रस्ताव है। सरकार के अनुसार, नए कानून से वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन संभव होगा तथा इनके इस्तेमाल को लेकर पारदर्शिता आएगी। साथ ही, विवादों के निपटारे और अतिक्रमण रोकने में यह कारगर साबित होगा। वक्फ संपत्तियों के विवादों का इतिहास वक्फ संपत्ति क्या होती है? * वक्फ संपत्ति वह चल या अचल संपत्ति होती है, जिसे कोई व्यक्ति अल्लाह के नाम पर दान करता है। इसका उपयोग सामाजिक और धार्मिक कार्यों के लिए किया जाता है। * एक बार कोई संपत्ति वक्फ हो जाए, तो वह हमेशा वक्फ की ही रहती है। * वक्फ संपत्ति को न तो बेचा जा सकता है, न खरीदा जा सकता है, और न ही किसी अन्य व्यक्ति के नाम हस्तांतरित किया जा सकता है। * वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन संबंधित वक्फ बोर्ड के पास होता है। * देशभर में वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए 32 वक्फ बोर्ड हैं। * इन बोर्डों से ऊपर केंद्रीय वक्फ परिषद कार्यरत है, जो इन संपत्तियों की निगरानी करती है। वक्फ संपत्तियों का विवादित होना क्यों आम है? वक्फ संपत्तियां अक्सर विवादों में घिरी रहती हैं। कानूनी जटिलताएं: वक्फ संपत्तियों को लेकर कानूनी विवाद अक्सर लंबे वक़्त तक चलते हैं। 1998 में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि एक बार वक्फ घोषित संपत्ति हमेशा वक्फ की ही रहेगी। इसके बावजूद, संपत्तियों पर स्वामित्व के दावे एवं अतिक्रमण जैसे मुद्दे बने रहते हैं। अतिक्रमण और अवैध दावे: वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना और अवैध तरीके से हस्तांतरण के आरोप अक्सर सामने आते हैं। पंजाब में वक्फ की 56% संपत्तियों पर विवाद है। देशभर में 73,000 से अधिक वक्फ संपत्तियां विवादित मानी जाती हैं। सरकारी संपत्तियों के साथ टकराव: कई बार वक्फ बोर्ड सरकारी संपत्तियों पर भी दावे करता है, जिससे विवाद बढ़ते हैं। वक्फ संपत्तियों के प्रमुख विवाद 1. तमिलनाडु का तिरुचेंतुरई गांव 1956 में नवाब अनवरदीन खान ने इस गांव की जमीन को वक्फ के लिए दान किया था। वक्फ बोर्ड ने यहां किसी भी खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इस जमीन के सभी लेन-देन को 'शून्य मूल्य' के रूप में दर्ज करने की मंजूरी दी है। 2. बेंगलुरु का ईदगाह ग्राउंड सरकार का कहना है कि यह जमीन कभी भी किसी मुस्लिम संगठन या वक्फ को नहीं दी गई। हालांकि, वक्फ बोर्ड का दावा है कि यह 1850 से वक्फ संपत्ति है। इस मुद्दे पर स्थानीय स्तर पर काफी विवाद होता रहा है। 3. गुजरात के सूरत नगर निगम की संपत्ति गुजरात वक्फ बोर्ड ने सूरत नगर निगम की इमारत पर दावा किया है। बोर्ड का कहना है कि यह इमारत मुगलकाल में एक सराय थी। आजादी के बाद यह संपत्ति भारत सरकार के नियंत्रण में आ गई। 4. द्वारका का बेट द्वारका द्वीप गुजरात वक्फ बोर्ड ने इस द्वीप पर वक्फ संपत्ति होने का दावा किया। इस दावे को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी। उच्च न्यायालय ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वक्फ बोर्ड धार्मिक शहर द्वारका की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता। 5. सूरत की शिव सोसायटी शिव सोसायटी में एक व्यक्ति ने अपने प्लॉट को वक्फ को दान कर दिया। तत्पश्चात, उस जगह को मस्जिद के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। सोसायटी के अन्य निवासियों ने इस पर आपत्ति जताई और विवाद बढ़ गया। सरकार क्यों बदलना चाहती है वक्फ कानून? वक्फ की संपत्तियों के प्रबंधन के लिए 1954 में वक्फ एक्ट बनाया गया था, जिसे 1995 और 2013 में संशोधित किया गया। अब, मोदी सरकार इस कानून में फिर से परिवर्तन करने की तैयारी कर रही है। वर्तमान में, वक्फ की ज़मीन का सर्वेक्षण करने का अधिकार एडिशनल कमिश्नर के पास है, लेकिन प्रस्तावित बिल में यह प्रावधान किया गया है कि वक्फ की संपत्तियों को जिला कलेक्टर के पास रजिस्टर कराना आवश्यक होगा। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण भी जिला कलेक्टर या डिप्टी कमिश्नर द्वारा किया जाएगा। सबसे बड़ा परिवर्तन वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक ढांचे में होगा। वर्तमान में, वक्फ बोर्ड में चुने हुए सदस्य होते हैं, जो एक चेयरमैन का चुनाव करते हैं। किन्तु प्रस्तावित बिल के अनुसार, वक्फ बोर्ड के सभी सदस्य सरकार द्वारा नामित किए जाएंगे, तथा बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्य भी होंगे। अभी तक, यदि किसी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जाता है तथा उस पर आपत्ति होती है, तो इसे वक्फ ट्रिब्यूनल में चुनौती दी जा सकती थी। वक्फ ट्रिब्यूनल तीन सदस्यीय होता है, जो यह तय करते थे कि संपत्ति वक्फ है या नहीं। प्रस्तावित बिल के अनुसार, वक्फ ट्रिब्यूनल में अब तीन की बजाय दो सदस्य होंगे। इसके अलावा, ट्रिब्यूनल के फैसले को अंतिम नहीं माना जाएगा, और उसे 90 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। इसके अतिरिक्त, यदि प्रस्तावित बिल कानून बनता है, तो जिन लोगों की संपत्तियों को वक्फ ने 12 साल पहले अतिक्रमण कर कब्जा कर लिया था, उन्हें वह संपत्तियाँ वापस मिल सकती हैं। 'सलाह नहीं मानी, इसलिए गंवाया महाराष्ट्र..', राहुल गांधी पर किसने फोड़ा हार का ठीकरा? 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