दुनियाभर में कई लोग हैं जो अपने मन में शादी करने की इच्छा लिए बैठे हैं. ऐसे में कई बार शादी में देरी होने लगती है. वहीं अगर किसी जातक जातिका के विवाह में विलंब हो रहा है अथवा हर बार विवाह की बात चलने पर कोई न कोई बाधा उपस्थित हो जाती है, तो सप्तम भाव, सप्तमेश ग्रह संबंधी संयुक्त विचार करके तत् ग्रह संबंधी उपाय करने चाहिए. जी हाँ, आज हम आपको कुछ उपयोगी उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हे अगर आप कर लें तो आपका विवाह हो सकता है. आइए जानते हैं. कहते हैं जिस कन्या के विवाह कार्य में बार-बार बाधाएं पड़ रही हों, उसको गुरु-पुष्य, रवि पुष्य, अक्षय तृतीया, श्रावण मास में, बसंत पंचमी अथवा नवरात्रों में निम्रलिखित मंत्र का पाठ आरंभ करके यथेष्ठ संख्या में 51 हजार अथवा सवा लाख की सं या में नियमित रूप में शिव-पार्वती अथवा माता के मंदिर में धूप, दीप जलाकर पीले एवं लाल पुष्प चढ़ाकर सुनिश्चित समय में नियमित रूप से संकल्पपूर्वक एवं विधिवत जप करने चाहिए क्योंकि इससे देवी की कृपा से अवश्य कामना सिद्धि होती है. मंत्र - ह्रीं गौर्य नम : है गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया. तथा मां कुरू कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्.. अर्थ- हे गौरि, शंकर की अद्र्धांगिनी! जिस प्रकार तुम शंकर की प्रिया हो, उसी प्रकार हे कल्याणी! मुझ कन्या को दुर्लभ वर प्रदान करो) 2. वहीं जिन लड़कों के विवाह में विलंब हो रहा है उन्हें विवाह हेतु निम्र मंत्र की प्रात: काल शुद्ध होकर दुर्गाजी के चित्र या मूर्ति पर लाल पुष्प समॢपत करना चाहिए और दीप प्रज्जवलित करके षोडशोपचार पूजन करें तथा नि न मंत्र को कम-से-कम 5 माला प्रतिदिन जप करना चाहिए. इसी के साथ ही दुर्गासप्तशती का इसी मंत्र से संपुट करके 18 पाठ करना या कराना चाहिए. मंत्र - पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्. तारिणीं दुर्गसंसार सागरस्य कुलोद्भवाम.. इस एक मंत्र के जाप से मिलेगा पूरी रामायण पढ़ने का लाभ क्या आप जानते हैं क्या होता है आमंत्रण और निमंत्रण में अंतर.. मंत्र उच्चारण कर देते हैं भगवान को पुष्पांजलि, जानें खास विधि