अजा एकादशी के दिन क्या करें और क्या नहीं? जानिए व्रत का सही नियम

अजा एकादशी, प्रभु श्री विष्णु को समर्पित एक प्रमुख व्रत है, जो भक्तों को पुण्य और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है। इस दिन की पूजा विधि और नियम जीवन में सुख-समृद्धि लाने का आश्वासन देते हैं। अजा एकादशी, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। 

इस वर्ष, अजा एकादशी 29 अगस्त 2024 को रात 1:19 बजे से शुरू होगी और 30 अगस्त 2024 को रात 1:37 बजे तक चलेगी। इस दिन दो महत्वपूर्ण शुभ योग बन रहे हैं: सिद्धि योग: सुबह से शाम 6:18 बजे तक। सर्वार्थ सिद्धि योग: शाम 4:39 बजे से अगले दिन सुबह 5:58 बजे तक। इन योगों का उपयोग पूजा-पाठ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही, अजा एकादशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र सुबह से शाम 4:39 बजे तक रहेगा, जो पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।

अजा एकादशी पर पालन करने योग्य नियम व्रत का संकल्प लें: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें। पूजा करें: भगवान विष्णु और तुलसी के पौधे की पूजा करें। मंत्र जाप: विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें। कथा सुनें: अजा एकादशी की कथा सुनें। दान करें: अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। भजन-कीर्तन: भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन करें। सात्विक भोजन: फल, सब्जियाँ और दूध का सेवन करें।

अजा एकादशी पर क्या न करें अन्न ग्रहण: पूरे दिन अन्न का सेवन न करें। शारीरिक श्रम: भारी शारीरिक श्रम से बचें। मनोरंजन: मनोरंजन से दूर रहें। क्रोध और हिंसा: क्रोध और हिंसा से बचें। अशुद्ध भोजन: मांस, मछली, अंडा आदि का सेवन न करें। शराब और नशीले पदार्थ: शराब और नशीले पदार्थों से दूर रहें।

अजा एकादशी व्रत के विभिन्न प्रकार निराहार व्रत: पूरा दिन कोई भी खाद्य पदार्थ नहीं खाते। फलाहार: केवल फल खाते हैं। एक समय का भोजन: एक समय भोजन करते हैं। शास्त्रों का अध्ययन: इस दिन शास्त्रों का अध्ययन शुभ माना जाता है। मंदिर में जाना: मंदिर जाकर भगवान विष्णु की पूजा करें।

अजा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है और यह व्रत धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। इस व्रत के संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप किसी पंडित या धार्मिक गुरु से संपर्क कर सकते हैं। व्रत का समय और विधियाँ अलग-अलग धर्मग्रंथों में भिन्न हो सकती हैं।

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