कोशिश बहुत की कि राज-ऐ-मोहब्बत बयाँ ना हो, मुमकिन कहाँ था कि आग लगे और धुंआ ना हो. रूह से रूहानी होने तक, हरफ़ से कहानी होने तक. साथ रहूंगी मैं हमदम तेरे, खाक़ आसमानी होने तक. तड़प रही हैं साँसें तुझे महसूस करने को, फिज़ा में खुशबू बनकर बिखर जाओ तो कुछ बात बने. आँखो की जुबान वो समझ नहिं पाते, होंठ है मगर कुछ केह नही पाते. अपनी बेबसी कीसे बताए यारों, कोई है जिनके बीना हम रेह नही पाते. एक सिगरेट सी मिली तू मुझे, ए आशिकी कश एक पल का लगाया था, लत उम्र भर की लग गयी. सिगरेट जलाई थी तेरी याद बहलाने को, मगर कमबख्त धुए ने तेरी तस्वीर बना दी. तड़प के देखो किसी की चाहत में, तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है. यूँ ही मिल जाये अगर कोई बिना तड़पे, तो कैसे पता चले के.. प्यार क्या होता है. बेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी, आज ज़रा वक़्त पर आना, "मेहमान-ए-ख़ास" हो तुम. आज़ाद कर दिया हे हमने भी उस पंछी को, जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहीन समजता था. कुछ मोहब्बत का नसा था पहले हमको फराज़, दिल जो टुटा तो नसे से मोहब्बत हो गयी. हरिवंश राय बच्चन की कलम से X-ray मशीन के अंदर घुस गई महिला वजह जानकर चौक जाएंगे आप गौतम बुद्ध के सुविचार