1. दिया जरुर जलाऊंगा चाहे मुझे ईश्वर मिले न मिले, हो सकता है दीपक की रोशनी से किसी मुसाफिर को ठोकर न लगे. 2. मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा यारों, सुबह आँख खुली तो सर माँ के कदमों में था. 3. यूँ तो मैं दुश्मनों के काफिलों से भी सर उठा के गुजर जाता हूँ, बस, खौफ तो अपनों की गलियों से गुजरने में लगता है कि कोई धोखा ना दे दे. 4. चलने की कोशिश तो करो, दिशाए बहोत है, रस्तो पे बिखरे काटो से ना डरो, तुम्हारे साथ दूवाए बहोत है. 5. रोज़गार है तो सोमवार है, वर्ना सातों दिन रविवार है. 6. "सोचा था घर बनाकर बेठुंगा सुकून से, पर घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना डाला." 7. जो मेरे बूरे वक्त मे मेरे साथ हैं, में उन्हें वादा करता हूँ, मेरा अच्छा वक्त सिर्फ उनके लिये होगा. 8. बुरा वक्त बताकर नहीं आता, पर सीखाकर और समझाकर बहुत कुछ जाता है. 9. किसी के पाँव से काँटा निकाल कर देखो, तुम्हारे दिल की ‘चुभन’ जरूर कम होगी. 10. जब तमन्ना जवान होती है, ज़मीं भी आसमान होती है. 11. चलने दो जरा आँधियां हकीकत की, न जाने कौन से झौंके में अपनों के मुखौटे उड़ जाएं. 12. मरने वाले को रोने वाले, हजार मिल जायेंगे मगर. . जो जिंदा है उसे समझने, वाला एक भी नही मिलता. सुहाना खान को समर्पित शायरियाँ राजीव गाँधी को याद करते हुए राजनीति वाले जोक्स 10 बिस्कुट चुराने पर मिली 10 दिन की सज़ा