राहत इंदौरी साहब की शायरियां

1. आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो.

2. अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है, उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते.

3. बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ.

4. बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए, मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए.

5. बोतलें खोल कर तो पी बरसों, आज दिल खोल कर भी पी जाए.

6. कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए, चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है.

7. दोस्ती जब किसी से की जाए, दुश्मनों की भी राय ली जाए.

8. एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो, दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो.

9. घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया, घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है.

10. ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर, जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे.

11. मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ, यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे.

12. मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता, यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी.

13. मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया, इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए.

14. मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग, गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए.

मुसाफिरों के लिए शायरियां

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