फेसबुक, व्हाट्सऐप, स्काइप, वीचैट और गूगल टॉक जैसी सोशल नेटवर्किंग एप पर लगाम कसने के लिए नियम कानून बनाने जा रही है. केंद्र ने बुधवार को इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है. यह नियम-कानून टेलिकॉम ऑपरेटर्स के समान ही होंगे. इस बारे में दूर संचार विभाग का कहना था कि ये एप टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए ग्राहकों तक अपनी पहुंच बनाते हैं और एसएमएस व कॉलिंग जैसी सुविधाएं देते हैं. टेलिकॉम कंपनियों के समान ही सुविधा देने के बावजूद भी इन्हें नियंत्रित और नियमन के लिए कोई कानून नहीं है. दरअसल यह दलील व्हॉट्सएप के सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए उस हलफनामें के जवाब में दी गई है, जिसमें व्हाट्सऐप ने कर्मन्या सिंह सरीन की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कर्मन्या सिंह सरीन ने व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी पर सवाल उठाते हुए याचिका में कहा कि व्हॉट्सऐप ने साल 2016 में अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव किया था, जिसके मुताबिक व्हॉट्सऐप यूजर्स की जानकारी फेसबुक के साथ शेयर कर सकता है. इसमें यूजर्स का फोन नंबर, कॉन्टेक्ट और अन्य डेटा भी शामिल है .बता दें कि व्हॉट्सऐप ने कहा था कि OTT (ऑवर द टॉप) सेवाएं सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 के प्रावधानों द्वारा कुछ हद तक नियंत्रित की जाती हैं और इसपर टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स की वॉयस व मैसेजिंग सर्विस के जैसे नियम लागू नहीं हो सकते.बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सऐप प्राइवेसी मामले में सुनवाई के लिए पांच जजों की पीठ बनाने का फैसला किया.अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी. यह भी देखें जल्द ही Whatsapp से कर सकेंगे डिजिटल पेमेंट योगी सरकार ने शिकायत के लिए जारी किया Whatsapp नंबर