नई दिल्ली: आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी देश की पहली महिला पीएम बनी थीं और उन्होंने देश के हित में कई फैसले लिए और कई ऐसे निर्णय भी लिए, जिनसे लोग उनके खिलाफ हो गए। इमरजेंसी उन फैसलों में से एक है। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी का क़त्ल उनके ही सिख बॉडीगार्ड्स बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने कर दिया था। उनकी हत्या के दिन इंदिरा गाँधी पहले रूटीन चेकअप के लिए डॉक्टर से मिली थीं और इसके बाद पीटर उस्तिनोव को इंटरव्‍यू देना था। जिसमे वे अच्छी दिखना चाहती थी इसलिए उन्होंने बुलेटप्रूफ जैकेट भी नहीं पहन रखी थीं। इंदिरा गांधी सुबह 9.12 बजे सरकारी आवास 1 सफदरजंग रोड से निकल रही थीं। इसी बीच उनके बॉडीगार्ड ने उन पर गोलियों की बौछार करना आरंभ कर दिया। जिससे वे बुरी तरह घयल हो गईं, उन्हें आनन्-फानन में एम्स हॉस्पिटल ले जाया गया। कार बहुत तेजी से एम्स की तरफ चली, साथ ही वरिष्ठ कार्डियॉलॉजिस्ट को इसकी सूचना दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंदिरा की धड़कन में मामूली हलचल दिखाई दे रही थी। उनकी आंखों की पुतलियां फैली हुई थीं, जिस से पता चल रहा था कि उनके दिमाग को काफी नुकसान हुआ था। इंदिरा के मुंह के माध्यम से उनकी साँस की नली में एक ट्यूब घुसाई ताकि फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंच सके । इंदिरा को 80 बोतल खून चढ़ाया गया, किन्तु उनकी जान नहीं बच सकी। आज भी नहीं बदले पेट्रोल-डीज़ल के दाम, यहां जानें ताजा भाव गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स में हुआ 2,400 करोड़ रुपये का इनफ्लो इंडसइंड ने प्रावधानों पर विलय करने से किया इंकार