कलियुग को लेकर विभिन्न पुराणों में कई तरह के संकेत और भविष्यवाणियाँ दी गई हैं। महाभारत में भी इसका विस्तृत वर्णन है, जिसमें कहा गया है कि कलियुग में धर्म का ह्रास होगा और अधर्म का प्रचार होगा। यह माना जाता है कि कलियुग में लोगों के आचार-व्यवहार में गिरावट आएगी, और समाज में कई विकृतियाँ फैलेंगी। इस युग में चार धर्म – सत्य, दया, पवित्रता और संयम – धीरे-धीरे समाप्त होते जाएंगे, और लोग अधिक स्वार्थी और हिंसक हो जाएंगे। इस युग को लेकर कई लोगों का ये मानना है कि यह लाखों वर्षों तक चलेगा, और वर्तमान में इसका पहला चरण (सतत बढ़ते अधर्म के साथ) चल रहा है। कलियुग की समाप्ति पर भगवान विष्णु के दसवें अवतार – कल्कि – का आगमन होगा। कल्कि अवतार के माध्यम से भगवान विष्णु पृथ्वी पर आकर सभी अत्याचारों और अधर्म को नष्ट करेंगे और सत्य, धर्म और न्याय की पुनर्स्थापना करेंगे। इस प्रकार, कलियुग की समाप्ति के बाद एक नया युग (सतयुग) प्रारंभ होगा, जिसमें शांति, समृद्धि और धर्म का राज होगा। यह विचार धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों पर आधारित है, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे प्रतीकात्मक रूप में भी देखा जाता है। ऐसे में अक्सर कई लोगों ने कलियुग को लेकर कई तरह के सवाल आते हैं जैसे कलियुग कि शुरुआत कब हुई? कलियुग कब ख़त्म होगा? और कलियुग का जब खात्मा होगा तो किस तरह के संकेत दिखने लगेंगे? इसी तरह के कई सवाल अक्सर लोगों के मन में आते हैं जिनका जवाब आज हम लेकर आए है.... कलियुग क्या है? कलियुग का शाब्दिक अर्थ है "काला युग" या "कलह-क्लेश का युग"। यह सत्य, धर्म, और संतोष के लोप का प्रतीक है। कलियुग में झूठ और पाखंड का बोलबाला होता है। इसमें हर प्राणी के मन में असंतोष, द्वेष और अकारण कलह की भावना रहती है। पुराणों में इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है: सत्य और धर्म का पतन: सत्य मिथ्या जैसा प्रतीत होता है, और धर्म का पालन करने वाले अल्पसंख्या में होते हैं। लालच और स्वार्थ का युग: मनुष्य लालच और स्वार्थ के वश में होकर अपने नैतिक मूल्यों को त्याग देता है। पापों का विस्तार: समाज में पाप और अन्याय तेजी से बढ़ते हैं। कलियुग कब शुरू हुआ? महाभारत के बाद कई घटनाओं ने कलियुग के आगमन का संकेत दिया, जैसे:- श्रीकृष्ण का वैकुंठ गमन: जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपना मानव शरीर त्याग दिया। पांडवों का स्वर्गारोहण: महाभारत के मुख्य पात्रों का पृथ्वी से प्रस्थान। यदुवंश का नाश: यदुवंश के विनाश के साथ कलियुग का औपचारिक आरंभ हुआ। इन घटनाओं के बाद पृथ्वी पर अधर्म और पाप बढ़ने लगे, जो कलियुग की शुरुआत के संकेत थे। माना जाता है कि कलियुग का आरंभ 3102 ईसा पूर्व हुआ था। कलियुग की अवधि और अंत का समय विष्णु पुराण और भागवत पुराण के अनुसार, कलियुग की कुल अवधि 4,32,000 वर्ष है। अब तक केवल 5,126 वर्ष (3102+2024) बीते हैं। इसका मतलब यह है कि कलियुग के अंत में अभी 4,26,882 वर्ष शेष हैं। कलियुग के अंत के समय को महाप्रलय कहा जाता है, जो त्रेता, द्वापर, और सत्ययुग के बाद फिर से चक्र की शुरुआत करेगा। कलियुग के अंत में क्या होगा? जैसा कि पुराणों में उल्लेख है, जब कलियुग अपनी चरम सीमा पर होगा, तो स्थिति अत्यंत दयनीय हो जाएगी। मनुष्य की औसत आयु घटकर 20 वर्ष रह जाएगी। बच्चे 5 वर्ष की आयु में ही प्रौढ़ हो जाएंगे। स्त्रियां 5-7 वर्ष की आयु में गर्भवती हो जाएंगी। बीमारियों का प्रभाव: साधारण बीमारियां भी जानलेवा बन जाएंगी। लोग छोटी-छोटी बीमारियों से मरने लगेंगे। प्राकृतिक आपदाएं: अत्यधिक सूखा, भीषण गर्मी, और विनाशकारी बारिश होगी। मौसम का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाएगा। अन्न और जल की कमी: धरती पर अन्न उगना बंद हो जाएगा। पानी के स्रोत सूख जाएंगे। धार्मिक और नैतिक पतन: धर्म और सत्य का नामोनिशान मिट जाएगा। लोग केवल भौतिक सुख के लिए एक-दूसरे से छल करेंगे। कलियुग का अंत कैसे होगा? भगवान का अवतार पुराणों में बताया गया है कि जब पाप अपने चरम पर होगा, तब प्रभु श्री विष्णु कल्कि अवतार लेकर आएंगे। वे पापियों का नाश करेंगे और फिर से धर्म और सत्य की स्थापना करेंगे। तत्पश्चात, सतयुग की शुरुआत होगी। भले ही कलियुग के अंत में हजारों वर्ष शेष हैं, किन्तु इसकी चुनौतियां हमें आत्ममंथन का अवसर देती हैं। जैसे जैसे समय बीत रहा हैं इंसानियत का खात्मा हो रहा हैं, भाई भाई का दुश्मन हो रहा हैं, नारियों को हीन भावना देखा जा रहा हैं, अपनी ही संतान को माता-पिता छोड़कर जा रहे हैं... इस तरह के कपट विचारों का त्याग कर यदि मानव जीवनयापन करें तो शायद काफी चीजों बदल सकती हैं. संभल पहुंचा सपा प्रतिनिधिमंडल, पत्थरबाजों से जेल में जाकर की मुलाकात, आरोपियों को बताया 'मासूम' अढ़ाई दिन का झोपड़ा.., कभी एक जैन मंदिर था, आज है मस्जिद..! 'हिमाचल का विकास रोकना चाहती है केंद्र सकरार...', सीएम सुक्खू का गंभीर आरोप