हिंदी सिनेमा के मशहूर गीत हसरत जयपुरी साहब का आज होते तो अपनी ज़िंदगी के 96 बरस पुरे कर चुके होते, 15 अप्रेल 1922 में जन्मे हसरत साहब ने 1940 में मुंबई का रुख किया. नौकरी की तलाश में भटकते हुए उन्होंने एक समय बस में कंडक्टर का काम शुरू किया, इस काम के लिए उन्हें 11 रुपए प्रति महीना पगार मिलती थी. नौकरी के साथ-साथ वो मुशायरे भी किया करते थे, उसी दौरान एक कार्यक्रम में पृथ्वीराज कपूर उनके गीत को सुनकर काफी प्रभावित हुए और उन्होंने अपने पुत्र राजकपूर को हसरत जयपुरी से मिलने की सलाह दी. राजकपूर उन दिनों अपनी फिल्म ..बरसात ..के लिए गीतकार की तलाश कर रहे थे. उन्होंने हसरत जयपुरी को मिलने का न्योता भेजा. राजकपूर से हसरत जयपुरी की पहली मुलाकात .रायल ओपेरा हाउस. में हुयी और उन्होंने अपनी फिल्म बरसात के लिये उनसे गीत लिखने की गुजारिश की. इसे महज संयोग ही कहा जाएगा कि फिल्म बरसात से ही संगीतकार शंकर जयकिशन ने भी अपने सिने करियर की शुरुआत की थी। राजकपूर के कहने पर शंकर जयकिशन ने हसरत जयपुरी को एक धुन सुनाई और उसपर उनसे गीत लिखने को कहा। धुन के बोल कुछ इस प्रकार थे ..अंबुआ का पेड़ है वहीं मुंडेर है .. आजा मेरे बालमा काहे की देर है .. शंकर जयकिशन की इस धुन को सुनकर हसरत जयपुरी ने गीत लिखा..जिया बेकरार है छाई बहार है ,आजा मेरे बालमा तेरा इंतजार है. BirthDay Special: रोमांस के जादूगर, हसरत जयपुरी... अपने बेटे को छोड़ इस एक्टर के दीवाने हैं डेविड धवन अनुष्का और प्रियंका के बाद अब ये एक्ट्रेस खोलना चाहती हैं प्रोडक्शन हाउस