नई दिल्ली. आज नौ सेना दिवस है, यानी आइएनएस खुकरी के शहीदों को सिर्फ नमन करने से बाहर निकलकर 1971 युद्ध में उन तमाम भारतीय नौ सैनिकों के जज्बे और जोश को याद करने का भी दिन है. यादें, जो भारतीय नौसेना के युद्धक इतिहास में अमिट और अमर हो गयी. छोड़ दी अपनी विरासत की गाथा आनेवाली पीढ़ी के लिए. 1947 और 1965 के बाद 1971 में ये तीसरा मौका था, जब भारत अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से जंग लड़ रहा था. इस जंग में पूर्वी पाकिस्तानी के रूप में बांग्लादेश को गंवाना उसके लिए बड़ा झटका था. इसके लिए युद्ध के दौरान इंडियन नेवी ने 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' चलाया था. ट्राइडेंट का मतलब होता है त्रिशूल. त्रिशूल यानी शिव का संहारक हथियार. इंडियन नेवी ने 4 दिसंबर 1971 की रात को 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' शुरू किया था. इसके तहत भारतीय नेवी ने पाकिस्तान नेवी के कराची बंदरगाह स्थित मुख्यालय को निशाना बना हमला बोला. ये पहला मौका था, जब दोनों देशों की नौसेना आमने-सामने थी. उससे पहले थल और वायु सेना ने ही पाकिस्तान को धूल चटाई थी, लेकिन 4 से 5 दिसंबर के बीच पाकिस्तान को ऑपरेशन ट्राइडेंट में जो झटका लगा, वो उसे कभी नहीं भुला पाएगा. इस ऑपरेशन में भारत की जीत के चलते हर साल नौसेना दिवस मनाया जाता है. यह भारतीय नौसेना का सबसे खतरनाक हमला था. इसमें 3 मिसाइल बोट्स आईएनएस निपट, आईएनएस निर्घट और आईएनएस वीर का इस्तेमाल हुआ. मेट्रो रेल में एक गाली पांच हज़ार की टाटा मोटर्स ने किया रक्त दाताओं का सम्मान इंफोसिस की कमान सलिल एस. पारेख को