कब है अहोई अष्टमी? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सनातन धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए कठोर उपवास करती हैं तथा माता अहोई की विधिवत पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के करने से महिलाओं को संतान की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पंचांग के मुताबिक, इस वर्ष कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर, दिन बृहस्पतिवार को प्रातः 01 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी तथा अगले दिन, 25 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को सुबह 01 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, अहोई अष्टमी का पर्व 24 अक्टूबर, दिन गुरुवार को मनाया जाएगा।

अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त: अहोई अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के समय 05 बजकर 42 मिनट से लेकर 06 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। वहीं, तारों को देखने का समय शाम में 06 बजकर 06 मिनट है, जबकि चंद्र देव को अर्घ्य देने का समय रात में 11 बजकर 55 मिनट तक है।

अहोई अष्टमी पूजा विधि: अहोई अष्टमी के दिन प्रातः उठकर स्नान करें तथा लाल रंग के वस्त्र धारण करें। फिर व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निर्जला व्रत का पालन करें। पूजा के स्थान पर अहोई माता की प्रतिमा स्थापित करें या बनाएं। शाम के समय विधि अनुसार मां की पूजा करें। माता को कुमकुम लगाएं, उन्हें लाल वस्त्र और फूल अर्पित करें, और 16 शृंगार की सामग्री चढ़ाएं। मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं तथा पूरी एवं हलवे का भोग लगाएं। अंत में कथा पढ़कर घी के दीपक से आरती करें और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। पूजा के बाद क्षमा-प्रार्थना करें एवं घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।

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