कब है कजरी तीज? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और कथा

कजरी तीज एक प्रमुख भारतीय त्योहार है जो भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) के कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के तीसरे दिन मनाया जाता है। इसे 'कजली तीज' और 'बड़ी तीज' भी कहा जाता है। विभिन्न तीज त्योहार जैसे हरियाली तीज, कजरी तीज, और हरतालिका तीज के साथ-साथ अक्षय तृतीया भी मनाई जाती है। कजरी तीज को भारत के दक्षिणी हिस्से में श्रावण के कृष्ण पक्ष में भी मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कजरी तीज के दिन के साथ मेल खाता है।

कजरी तीज कहाँ मनाई जाती है? कजरी तीज खासतौर पर भारत के उत्तरी राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, और मध्य प्रदेश में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन विवाहित महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं।

कजरी तीज की तिथि और मुहूर्त कजरी तीज 22 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। तृतीया तिथि 21 अगस्त 2024 को शाम 05:06 बजे शुरू होगी और 22 अगस्त 2024 को दोपहर 01:46 बजे समाप्त होगी।

कजरी तीज की कहानी कजरी तीज से जुड़ी लोककथाओं के अनुसार, मध्य भारत में कजली नामक एक घना जंगल था, जिस पर राजा ददुरई का शासन था। राजा की मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी रानी नागमती ने सती हो जाने का निर्णय लिया, जिससे कजली के लोग दुखी हो गए। उन्होंने दुख और प्रेम की लालसा के गीत गाए, जो कजरी तीज के लोकगीतों का हिस्सा बने।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव के साथ दिव्य मिलन के लिए 108 वर्षों तक तपस्या और उपवास किया। उनकी इस तपस्या से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया, और यह दिव्य मिलन भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के दौरान हुआ, जिसे कजरी तीज के रूप में मनाया जाता है।

कजरी तीज के अनुष्ठान कजरी तीज को बड़ी तीज कहा जाता है क्योंकि यह हरियाली तीज के कुछ दिन बाद आती है। इस दिन विवाहित महिलाएं भव्य पोशाक और आभूषण पहनती हैं, हाथों और पैरों में मेहंदी लगाती हैं और दिन भर दुल्हन की तरह सजती हैं। यह दिन महिलाओं के लिए उपहार, नए कपड़े, और गहनों की प्राप्ति की परंपरा का हिस्सा भी होता है।

कजरी तीज भारत में मानसून के मौसम में मनाई जाती है। महिलाएं इस दिन पेड़ों पर झूले लगाती हैं, लोकगीत गाती हैं, नृत्य करती हैं, और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेती हैं। राजस्थान के बूंदी में भी इस दिन मेले लगते हैं और लोग उत्सव का आनंद लेते हैं।

कजरी तीज पूजा कैसे करें? कजरी तीज की पूजा गोधूलि बेला के समय की जाती है। पूजा विधि में भिन्नताएँ हो सकती हैं, लेकिन कुछ सामान्य प्रथाएँ निम्नलिखित हैं: कुछ क्षेत्रों में सत्तू (बेसन) का पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसे घी और चीनी के साथ मिलाकर पिंड बनाया जाता है। नीम के पेड़ या उसकी टहनी की पूजा भी की जाती है। श्री गणेश की पूजा फूल, कुमकुम, काजल, और विशेष भोजन और मिठाइयों के साथ की जाती है। पूजा के चबूतरे पर एक छोटा गड्ढा बनाकर उसमें नीम की टहनी स्थापित की जाती है, और कच्चे दूध और पानी का प्रसाद डाला जाता है।

कजरी तीज एक ऐसा त्योहार है जो नारीत्व, समर्पण, और पति की लंबी उम्र की कामना का प्रतीक है।

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