सनातन शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का खास महत्व है। यह तिथि न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे कई महत्वपूर्ण पर्वों के लिए भी माना जाता है। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सभी कलाओं के साथ प्रकट होता है, जिससे पृथ्वी पर सकारात्मकता तथा ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति तथा समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन श्रीहरि और मां लक्ष्मी के साथ चंद्र देव की विशेष आराधना की जाती है। कब मनाया जाता है? कार्तिक माह के अंत में कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है। यह तिथि विशेष रूप से प्रभु श्री विष्णु और मां लक्ष्मी के आशीर्वाद के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मुख्यतः गंगा स्नान और दान-पुण्य के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पंचांग के मुताबिक, 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर हो रही है. इस तिथि का समापन 16 नवंबर को अगले दिन देर रात्रि 02 बजकर 58 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा तथा इसी दिन साधक व्रत भी रख सकते हैं. पंचांग सूर्योदय का समय - सुबह 06 बजकर 44 मिनट पर सूर्यास्त का समय - शाम 04 बजकर 51 मिनट पर चंद्रोदय का समय- शाम 05 बजकर 05 मिनट पर मुहूर्त का समय ब्रह्म मुहूर्त का समय- सुबह 04 बजकर 58 मिनट से लेकर 05 बजकर 51 मिनट तक विजय मुहूर्त का समय- दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से लेकर 02 बजकर 36 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त का समय- शाम 05 बजकर 27 मिनट से लेकर 05 बजकर 54 मिनट तक. निशिता मुहूर्त का समय- 15 नवंबर को दोपहर 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 16 नवंबर को मध्य 12 बजकर 33 मिनट पर. दिवाली पर राशिनुसार पहनें इन रंगों के कपड़े, शुरू होंगे अच्छे दिन 22 अक्टूबर को बुध होंगे उदय, इन राशियों की चमकेगी किस्मत कार्तिक माह में पड़ रही हैं ये 2 खास एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त