पौष का माह सूर्य देव का महीना माना जाता है। पूर्णिमा की तिथि चन्द्रमा की तिथि होती है। पौष पूर्णिमा को ही सूर्य एवं चन्द्रमा का ये अद्भुत संयोग मिलता है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों की आराधना से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन ग्रहों की बाधा शांत होती है तथा मोक्ष का वरदान भी प्राप्त होता है। इस बार पौष की पूर्णिमा 6 जनवरी को है। पौष पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा और स्नान? प्रातः नहाने के पहले संकल्प लें। पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें फिर स्नान करना आरम्भ करें। साफ कपड़े धारण करें एवं सूर्य को अर्घ्य दें। फिर मंत्र जाप करके कुछ दान अवश्य करें। इस दिन उपवास रखना बेहतर होगा। पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा के समक्ष ध्यान या प्रार्थना करें। आपकी प्रार्थना स्वीकृत होगी। पौष पूर्णिमा पर किन मंत्रों का जाप करें? पहला मंत्र- "ॐ आदित्याय नमः" दूसरा मंत्र - "ॐ सोम सोमाय नमः" तीसरा मंत्र- "ॐ नमो नीलकंठाय" चौथा मंत्र -"ॐ नमो नारायणाय" पूर्णिमा तिथि का महत्व:- पूर्णिमा तिथि पूर्णत्व की तिथि मानी जाती है। इस तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। सूर्य एवं चन्द्रमा समसप्तक होते हैं। इस तिथि पर जल एवं वातावरण में खास ऊर्जा आ जाती है। चन्द्रमा पूर्णिमा तिथि पर पृथ्वी एवं जल तत्व को पूर्ण तौर पर प्रभावित करता है। चन्द्रमा इस तिथि के स्वामी होते हैं। इस दिन हर प्रकार की मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। इस दिन स्नान, दान एवं ध्यान विशेष लाभदायी होता है। भक्तों के लिए कब खोला जाएगा अयोध्या का श्रीराम मंदिर ? गृह मंत्री ने किया तारीख का ऐलान भारत में समलैंगिक शादी को मिलेगी मान्यता ? सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज दिल्ली MCD के मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए आज मतदान, कांग्रेस ने बनाया दूरी