पोंगल का त्यौहार चार दिन तक चलने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार तमिलनाडु का प्रमुख त्योहार है। जी हाँ और यहां के लोग इस पर्व को बहुत धूम-धाम से मनाते हैं। इस पर्व को नए साल के रूप में मनाया जाता हैं। जी दरस यह त्योहार तमिल महीने 'तइ' की पहली तारीख से शुरू होता है। इसी के साथ आपको बता दें कि इस त्योहार में इंद्र देव और सूर्य की उपासना की जाती है। जी दरअसल पोंगल का त्योहार संपन्नता को समर्पित है और पोंगल में समृद्धि के लिए वर्षा, धूप और कृषि से संबंधित चीजों की पूजा अर्चना की जाती है। अब हम आपको बताते हैं इस पर्व का महत्व और शुभ मुहूर्त। पोंगल शुभ मुहूर्त- चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत 14 जनवरी से हो रही है। वहीं ज्योतिषाचार्य के मुताबिक पोंगल पर पूजा के लिए इस दिन दोपहर 2 बजकर 12 मिनट का शुभ मुहूर्त है। कैसे मनाया जाता है पोंगल? - आप सभी को बता दें कि पोंगल के त्योहार पर मुख्य तौर पर सूर्य की पूजा की जाती है। जी दरअसल सूर्य को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है, उसे पगल कहते हैं। पोंगल के पहले दिन लोग सुबह उठकर स्नान करके नए कपड़े पहनते हैं और नए बर्तन में दूध, चावल, काजू, गुड़ आदि चीजों की मदद से पोंगल नाम का भोजन बनाया जाता है। केवल यही सब नहीं बल्कि इस दिन गायों और बैलों की भी पूजा की जाती है। इस दिन किसान अपनी बैलों को स्नान कराकर उन्हें सजाते हैं। इसके अलावा पोंगल के दिन घर में मौजूद खराब वस्तुओं और चीजों को भी जलाया जाता है और नई वस्तुओं को घर लाया जाता है। आपको बता दें कि कई लोग पोंगल के पर्व से पहले अपने घरों को खासतौर पर सजाते हैं। जी दरअसल पोंगल का त्योहार तमिलनाडु में पूरे उत्साह और जोश के साथ में मनाते है। करीब 4 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के पहले दिन को 'भोगी पोंगल' कहते हैं। वहीं दूसरे दिन को 'सूर्य पोंगल' और तीसरे दिन को 'मट्टू पोंगल', उसके बाद चौथे दिन को 'कन्नम पोंगल' कहते हैं। पोंगल के हर दिन अलग-अलग परंपराओं और रीति रिवाजों का पालन किया जाता है। जब पत्नी से मिलने के लिए घोडा बने थे सूर्य देव लोहड़ी पर सुनते हैं दुल्ला भट्टी की ये कहानी आखिर क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति?