नई दिल्ली: गत वर्ष नवंबर में शुरू हुए किसान आंदोलन को 4 माह पूरे हो चुके थे. 26 जनवरी 2021 को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली. इस दौरान हिंसा हुई. लाल किले पर भी जमकर उपद्रव हुआ. इस हिंसा के बाद किसान आंदोलन कमजोर पड़ता नज़र आया. किसान नेता 1 फरवरी को संसद मार्च निकालने वाले थे, मगर इस हिंसा की वजह से रैली को भी रद्द कर दिया. लाल किले पर भड़की हिंसा ने किसान आंदोलन को बैकफुट पर ला दिया था. 28 जनवरी को दिल्ली पुलिस द्वारा राकेश टिकैत को नोटिस थमाया गया. उन्हें ट्रैक्टर परेड के दौरान निर्धारित शर्तों को तोड़ने और किसानों को उकसाने के मामले में नोटिस भेजा गया था. कुछ देर बाद टिकैत सामने आए और उन्होंने संकेत दिए कि आज रात को ही आंदोलन समाप्त हो जाएगा. टिकैत के भाई नरेश टिकैत ने भी अपने गांव में गाजीपुर में धरना खत्म करने की घोषणा कर दी. 28 की शाम होते-होते यूपी सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को आंदोलनस्थल खाली कराने का आदेश दिया गया. नोएडा, गाजियाबाद के अधिकारी सुरक्षाबलों के साथ गाजीपुर सीमा पर पहुंचे. राकेश टिकैत को समझाया, बात की. वहां बने टैंट और अन्य निर्माण हटाना शुरू हुआ. कुछ ही देर में गाजीपुर बॉर्डर छावनी में तब्दील हो गई. ऐसा माने जाने लगा था कि किसान आंदोलन अब करीब-करीब समाप्त हो गया है. उसी शाम थोड़ी देर बाद राकेश टिकैत मीडिया के सामने आए और खूब रोए और कहा कि किसानों के साथ धोखा हो रहा है. टिकैत ने ऐलान करते हुए कहा कि 'देश का किसान सीने पर गोली खाएगा, लेकिन पीछे नहीं हटेगा.' टिकैत ने धमकी देते हुए कहा कि, 'तीनों कृषि कानून यदि वापस नहीं लिए गए, तो वो ख़ुदकुशी करेंगे, लेकिन आंदोलन स्थल खाली नहीं करेंगे.' उस दिन बहे टिकैत के आंसुओं ने किसान आंदोलन के लिए 'संजीवनी' का काम किया और आंदोलन फिर खड़ा हो गया. खादी ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने के लिए जल्दी बनेगी रणनीति: शहनवाज हुसैन कृषि कानून की वापसी पर बोले राहुल गांधी- अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो प्रियंका गांधी के निजी सचिव पर घर में ताक-झांक करने और मारपीट का आरोप, दर्ज हुआ केस