बेटे ने स्कूल जाने से किया मना तो गुस्साई मां ने लगवाई रेहड़ी और फिर...

अक्सर जब बच्चे पढ़ाई से कतराते हैं, तो माता-पिता उन्हें भविष्य के संघर्षों से डराने के लिए कहते हैं, "जब खुद कमाओगे, तब समझोगे कि आटे-दाल का भाव क्या होता है।" कुछ माता-पिता तो यह भी कह देते हैं कि "अगर पढ़ाई नहीं करोगे, तो ठेले पर दुकान लगवा देंगे।" ऐसा ही एक वास्तविक उदाहरण चीन के झेजियांग प्रांत के जियाक्सिंग शहर में सामने आया। यहां डेंग नाम की महिला ने अपने बेटे को जीवन का असली संघर्ष दिखाने के लिए उसे ठेले पर काम करने भेज दिया। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने सभी को चौंका दिया।

'मुझे न स्कूल जाना है, न पढ़ना है' डेंग का 17 वर्षीय बेटा शेन पढ़ाई में बिल्कुल रुचि नहीं ले रहा था। स्कूल की हर परीक्षा में उसके नंबर लगातार गिरते जा रहे थे। डेंग ने कई बार उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन जब एक दिन उसने शेन को सख्त लहजे में पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा, तो शेन ने जवाब दिया, "मुझे न स्कूल जाना है, न पढ़ना। मुझे स्कूल जाना बेकार का काम लगता है।" शेन के इस जवाब ने डेंग को हैरान और गुस्से से भर दिया।

उस वक्त डेंग ने यह फैसला किया कि वह अपने बेटे को जीवन के असली संघर्ष से रूबरू कराएगी। उसे यह महसूस हुआ कि जब शेन खुद पैसे कमाएगा और काम की मुश्किलों से गुजरेगा, तभी उसे समझ आएगा कि स्कूल की पढ़ाई कितनी जरूरी है। इस उद्देश्य से डेंग ने अपने बेटे को अपनी चिकन फ्राई की रेहड़ी पर काम करने के लिए भेजने का निर्णय लिया।

रेहड़ी पर काम का अनुभव और हैरान करने वाली कमाई डेंग ने शेन को अपनी चिकन फ्राई की रेहड़ी पर बैठा दिया और सोचा कि कुछ दिनों में मेहनत करने के बाद, शेन को पढ़ाई का महत्व समझ में आ जाएगा। उसने सोचा कि लड़का जब रेहड़ी पर काम करेगा, तब उसे अहसास होगा कि पढ़ाई छोड़ने का फैसला कितना गलत था। लेकिन 10 दिनों बाद जो हुआ, उसने डेंग को चौंका दिया।

शेन ने 10 दिनों में 10,000 युआन (लगभग 1.17 लाख रुपये) कमा लिए। यह देखकर डेंग हैरान रह गई। उसकी सोच थी कि शेन कुछ ही दिनों में काम से थक जाएगा और वापस पढ़ाई में रुचि दिखाने लगेगा, लेकिन इसके उलट, शेन ने ठेले पर काम में बहुत तेजी से महारत हासिल कर ली और अच्छा-खासा पैसा कमाने लगा। डेंग ने बताया कि शेन रोज सुबह 9 बजे उठकर खाना बनाना शुरू करता था। वह 13 किलोमीटर की दूरी तय करके शाम 4 बजे ठेला लगाता और पूरी रात चिकन बेचता था। शेन देर रात तक यानी सुबह 3 बजे तक काम करता था और फिर घर लौटता था। इस पूरी प्रक्रिया में वह न केवल मेहनत कर रहा था, बल्कि ग्राहकों का भरोसा भी जीत रहा था।

डेंग का कहना है कि उसे उम्मीद नहीं थी कि शेन काम में इतनी तेजी से रम जाएगा और इतनी लगन से काम करेगा। उसने कहा, "शेन बहुत मेहनती है। मुझे कभी नहीं लगा था कि वह इतनी जल्दी काम के प्रति गंभीर हो जाएगा और उसे पसंद करने लगेगा।"

स्कूल छोड़ने का निर्णय हालांकि, इस अनुभव के बाद शेन ने एक और बड़ा फैसला लिया—उसने स्कूल छोड़ दिया। डेंग ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की कि पढ़ाई को न छोड़े, लेकिन शेन का निर्णय पक्का था। उसने काम को प्राथमिकता दी और स्कूल जाना पूरी तरह बंद कर दिया।

डेंग ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "मैंने उसे बहुत समझाया, लेकिन उसने अपना मन बना लिया है। माता-पिता केवल अपने बच्चों को मार्गदर्शन दे सकते हैं, लेकिन वे उनके लिए फैसले नहीं कर सकते। अगर वह अपनी शर्तों पर जीवन नहीं जिएगा, तो खुश नहीं रहेगा। मेरी प्राथमिकता यह है कि मेरा बेटा स्वस्थ और खुश रहे। मैंने उसे बस यह सिखाया है कि वह कुछ भी गैरकानूनी न करे और सही रास्ते पर चले।"

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया यह घटना जब सामने आई, तो यह चीन की सोशल मीडिया साइट वीबो पर तेजी से वायरल हो गई। इस विषय पर लोगों ने अपने-अपने विचार साझा किए। एक यूजर ने लिखा, "अगर किसी को पढ़ाई में रुचि नहीं है, तो उसे कुछ और करना चाहिए। जीवन जीने का एकमात्र तरीका स्कूल ही नहीं है।" वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, "इसका मतलब यह है कि महिला का बेटा मेहनती है, लेकिन वह स्कूल में समय बर्बाद नहीं करना चाहता। शायद उसका दिमाग पूरी तरह से बिजनेस की ओर है।"

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि हर व्यक्ति की रुचियां और प्राथमिकताएं अलग होती हैं। जहां कुछ लोग शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं, वहीं दूसरों के लिए व्यवसाय या काम ही जीवन का असली मकसद हो सकता है। यह घटना एक दिलचस्प चर्चा का विषय बन गई है कि क्या शिक्षा जीवन में सफल होने का एकमात्र साधन है, या फिर जीवन के दूसरे रास्ते भी सफलता दिला सकते हैं।

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