'जब वक़्त आएगा तो..', असम विधानसभा में नमाज़ ब्रेक ख़त्म करने पर बोले फारूक अब्दुल्लाह

श्रीनगर: असम विधानसभा द्वारा मुस्लिम विधायकों को नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को दिए जाने वाले दो घंटे के ब्रेक की प्रथा को खत्म करने के फैसले के बाद, जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि भारत में विविधता में एकता को देखते हुए, हर धर्म के हितों की रक्षा करना आवश्यक है। 

नेशनल कांफ्रेंस (NC) के अध्यक्ष ने कहा कि, "जब वक्त आएगा तो यह बदल जाएगा। अच्छी चीजें फिर से वापस आएंगी। ऐसा मत करो। इस देश में विविधता में एकता है। यहां कई भाषाओं के लोग रहते हैं और इसीलिए भारत एक संघीय ढांचा है। हमें यहां हर धर्म की रक्षा करनी है।" दरअसल, असम विधानसभा ने 30 अगस्त को घोषणा की कि वह हर शुक्रवार को 'जुम्मा की नमाज' के लिए दो घंटे का स्थगन प्रदान करने की प्रथा को समाप्त कर रही है, जिसे ब्रिटिश शासनकाल में असम में सादुल की मुस्लिम लीग सरकार ने शुरू किया था।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कल कहा कि हिंदू और मुस्लिम विधायकों ने एक साथ बैठकर सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वे इस अवधि के दौरान भी काम करेंगे। सरमा ने कहा, "हमारी विधानसभा के हिंदू और मुस्लिमों ने मालास नियम समिति में बैठकर सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि दो घंटे का ब्रेक सही नहीं है। हमें इस अवधि के दौरान भी काम करना चाहिए। यह प्रथा 1937 में शुरू हुई थी और कल से इसे बंद कर दिया गया है।"

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