नई दिल्ली: देश में इन दिनों समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस बीच केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिंग पड़ी रिट याचिकाओं का हवाला देते हुए लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि सरकार की अब तक देश में UCC लागू करने की कोई योजना नहीं है। मंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में यह प्रावधान है कि राज्य, भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने की कोशिश करेगा । इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि, "वसीयतनामा और उत्तराधिकार, वसीयत, संयुक्त परिवार और विभाजन, विवाह और तलाक जैसे व्यक्तिगत कानून संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची- III की प्रविष्टि 5 से संबंधित हैं। राज्य सरकारों को भी उन पर कानून बनाने का पूरा अधिकार प्राप्त है।' उल्लेखनीय है कि UCC लंबे समय से भाजपा के सियासी एजेंडे में शामिल है और पार्टी के 2019 के चुनावी घोषणापत्र का भी हिस्सा था। भाजपा नेता समय-समय पर UCC की मांग करते रहे हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह यूसीसी को वक़्त की मांग बताते रहे हैं। इसी प्रकार, भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा और निशिकांत दुबे पहले भी कई बार UCC पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने का प्रयास कर चुके हैं। वहीं, इस मामले पर भाजपा शासित उत्तराखंड पहले ही आगे बढ़ चुका है। पहाड़ी राज्य में UCC को लागू करने के लिए एक समिति गठित की है। समिति की पहली बैठक एक पखवाड़े पहले हुई थी। सीएम पुष्कर धामी ने अन्य राज्यों से UCC पर अपने राज्य द्वारा अपनाए जा रहे मॉडल का पालन करने का आग्रह किया था। 'उर्दू पढ़ाओ, वरना स्कूल में ताला लगा देंगे..', राजस्थान के सरकारी विद्यालय को धमकी, Video देश के 4 बैंकों पर RBI ने लगाए बड़े प्रतिबंध, अपने अकाउंट से 10 हज़ार से ज्यादा नहीं निकाल सकेंगे ग्राहक गजवा ए हिन्द: ताहिर को छुड़ाने के लिए हनी ट्रैप का इस्तेमाल कर रहा PAK