आप सभी को बता दें कि वास्तु के अनुसार गणपति की मूर्ति एक, दो, तीन, चार और पांच सिरों वाली पाई जाती है. ऐसे में गणपति के 3 दांत भी पाए जाते हैं और सामान्यत: 2 आंखें पाई जाती हैं, किंतु तंत्र मार्ग संबंधी मूर्तियों में तीसरा नेत्र भी देखा गया है. जी हाँ, कहते हैं भगवान गणेश की मूर्तियां 2, 4, 8 और 16 भुजाओं वाली होती हैं और 14 प्रकार की महाविद्याओं के आधार पर 14 प्रकार की गणपति प्रतिमाओं के निर्माण से वास्तु जगत में तहलका मच गया है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस स्वरूप को घर में किस उदेश्य से स्थापित करना चाहिए. आइए जानते हैं. 1* संतान गणपति- कहते हैं भगवान गणपति के 1008 नामों में से संतान गणपति की प्रतिमा उस घर में स्थापित करनी चाहिए जिनके घर में संतान नहीं हो रही हो. जी हाँ, ऐसे लोग संतान गणपति की विशिष्ट मंत्र पूरित प्रतिमा द्वार पर लगाएं जिसका प्रतिफल सकारात्मक होता है. 2* विघ्नहर्ता गणपति- कहा जाता है विघ्नहर्ता भगवान गणपति की प्रतिमा उस घर में स्थापित करनी चाहिए, जिस घर में कलह, विघ्न, अशांति, क्लेश, तनाव, मानसिक संताप आदि दुर्गुण होते हैं. वहीं पति-पत्नी में मनमुटाव, बच्चों में अशांति का दोष पाया जाता है तो ऐसे घर में प्रवेश द्वार पर मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।. 3* विद्या प्रदायक गणपति- अगर बच्चों में पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी लानी हो तो गृहस्वामी को विद्या प्रदायक गणपति अपने घर के प्रवेश द्वार पर स्थापित करना चाहिए. 4* विवाह विनायक- कहा जाता है गणपति के इस स्वरूप का आह्वान उन घरों में विधि-विधानपूर्वक होता है, जिन घरों में बच्चों के विवाह जल्द तय नहीं होते और बहुत समय लग जाता है. 5* चिंतानाशक गणपति- कहा जाता है जिन घरों में तनाव व चिंता बनी रहती है, ऐसे घरों में चिंतानाशक गणपति की प्रतिमा को 'चिंतामणि चर्वणलालसाय नम:' जैसे मंत्रों का सम्पुट कराकर स्थापित करना लाभ देता है. घर के इस कोने में रखे जेवर होगी दुगनी वृद्धि बहुत बुरे दामाद होते हैं इस नाम के लड़के, कभी ना करें इनसे अपनी बेटी की शादी आज इस हनुमान शाबर मंत्र से किसी को देखते ही करें वश में