कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मिडडे मील के मामले में बड़ी हेराफेरी किए जाने की जानकारी सामने आई है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने संयुक्त समीक्षा करने का भी निर्णय लिया है। बता दें कि, ‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’ के तहत स्कूली बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन, अब जो खुलासा हुआ है, उसके अनुसार वर्ष 2022 में अप्रैल से लेकर सितंबर तक 16 करोड़ मिड डे मील्स को लेकर गड़बड़ी हुई है, जो लगभग 100 करोड़ रुपए का होता है। आरोप है कि 16 करोड़ मिड-डे मील्स की अतिरिक्त रिपोर्टिंग कर दी गई, यानी जो भोजन बच्चों को दिया ही नहीं गया, लेकिन उसकी एंट्री कर दी गई। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसकी जांच करने के लिए ‘जॉइंट रिव्यू कमीशन (JRC)’ गठित किया है। आरोप ये भी है कि इस योजना के लिए जो फंड्स जारी किए गए, उन्हें कहीं दूसरी ही जगह भेज दिया गया। इन फंड्स से अग्निकांड के पीड़ितों को मुआवजा प्रदान किया गया। साथ ही अनाज के एलोकेशन में भी धांधली हुई है। चावल-दाल और सब्जी की मात्रा में भी 70 फीसद कम खरीद की गई। साथ ही नमक-मिर्च इत्यादि के एक्सपायर हो चुके प्रोडक्ट भी इस्तेमाल में लाए जाने का आरोप है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 24 मार्च को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अपनी गंभीर चिंताओं को लेकर बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को अवगत करा दिया है। साथ ही कहाँ-कहाँ गड़बड़ी हुई है, इस बारे में भी बंगाल सरकार को पूरी जानकारी दे दी गई है। कितने मिड-डे मील्स बच्चों को दिए गए, इसके आँकड़ों को भी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है। इसमें जो आर्थिक हेराफेरी हुई हैं, उसे केंद्र सरकार ने रेखांकित किया है। इसके बाद 30 मार्च को सीएम ममता बनर्जी की सरकार ने केंद्र को जवाब दिया कि स्थानीय प्रोजेक्ट डायरेक्टरों को इन गड़बड़ियों अध्ययन करने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि, 2023 में 29 जनवरी से लेकर 7 फरवरी तक मिशन ने राज्य का दौरा कर इस बारे में समीक्षा की थी, जिसमें ये गड़बड़ियाँ उजागर हुईं थीं। मिड-डे मील्स खाने वाले बच्चों को लेकर जिला स्तर पर जो रजिस्टर था और जो आँकड़े बंगाल सरकार ने केंद्र को भेजे, उनमें भी धांधली सामने आई है। उत्तराखंड स्थित जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एन्ड टेक्नोलॉजी में फ़ूड एन्ड न्यूट्रिशन विभाग की प्रमुख (HOD) प्रोफेसर अनुराधा दत्ता इस JRM की अगुवाई कर रही हैं। केंद्र सरकार की जाँच समिति ने पाया है कि उक्त अवधि के बीच जिला स्तर के आँकड़ों को देखने से मालूम होता है कि 124.22 करोड़ मिड डे मील्स दिए गए, जबकि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट पहुंचाई, उसमें ये आँकड़ा 140.25 करोड़ है। यानी, 16 करोड़ मिड डे मील्स का आंकड़ा फर्जी या बढ़ा-चढ़ाकर दर्शा दिया गया। जो मिड डे मील बच्चों ने खाया ही नहीं। वहीं, बंगाल सरकार के अधिकारियों की दलील है कि पश्चिम बंगाल में किसी अधिकारी के दस्तखत के बगैर ही JRM रिपोर्ट को फाइनल कर दिया गया। साथ ही बंगाल सरकार के अधिकारियों ने उल्टा केंद्र सरकार पर नियमों का पालन न करने का इल्जाम लगाया है। '10-15 मिनट में छत पर नहीं लाए जा सकते पत्थर..', रामनवमी हिंसा पर कोलकाता हाई कोर्ट ने काफी कुछ कहा 'रामनवमी पर जानबूझकर भड़काए गए दंगे, पुलिस-प्रशासन असली दोषी..', पूर्व चीफ जस्टिस की रिपोर्ट में घिरी ममता सरकार ममता-पवार को झटका, केजरीवाल की बल्ले-बल्ले, जानिए चुनाव आयोग के फैसले से क्या-क्या बदला