नई दिल्ली: कांग्रेस के धुरंधर कहे जाने वाले और गांधी परिवार के वफादार रहे, इसी के साथ कांग्रेस पार्टी की नीव का हिस्सा कहे जाने वाले गुलाम बनी आजाद ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) ने आज कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है और उनका इस्तीफा कांग्रेस पार्टी के खात्मे का संकेत माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक कांग्रेस के कई नेता इस्तीफा देते आए तो कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) का इस्तीफा यानी पार्टी की नीव हिलने के समान है। जी दरअसल गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) ने बार-बार पार्टी को नई जिंदगी देने की बात कही, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। वहीं अंत में पार्टी में हो रही लगातार उपेक्षा के चलते उन्होंने पार्टी को छोडना ही बेहतर समझा। अब हम आपको बताते हैं कौन हैं गुलाम नबी आजाद? गांधी परिवार के बेहद करीबी- गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) केवल कांग्रेस पार्टी के नेता नहीं थे बल्कि वह गांधी परिवार की पीढ़ियों के बेहद करीबी थे। जी दरअसल गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) गांधी परिवार में अपना अहम रोल निभाते आएं है। उनके गांधी परिवार से घरेलू रिश्ते थें और बाद में उनकी पार्टी और परिवार के सदस्यों से दूरी बनने लगी। वह कांग्रेस पार्टी के जी-23 के एक अहम नेता के तौर पर उभर कर सामने आए। गुलाम नबी (Ghulam Nabi Azad resign) कहते है कि पार्टी में राहुल गांधी के सिक्योरिटी गार्ड फैसले ले रहे है, पार्टी रिमोट से चल रही है। इसी के साथ गुलाम नबी आजाद का केवल जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों में उनका दखल रहा है। उनकी कार्यशैली और कुशल नेतृत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मोदी सरकार में उन्हें साल 2022 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कांग्रेस में आजाद का सफर- गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) ने कांग्रेस से अपने राजनैतिक करियर की शुरूआत साल 1973 में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के तौर पर की थी। उसके बाद आजाद के काम, उनके कुशल नेतृत्व को देखते हुए पार्टी ने उन्हें युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी। हालाँकि गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) के राजनैतिक करियर में तब उछाल आया जब उन्होंने साल 1980 महाराष्ट्र में वाशिम निर्वाचन क्षेत्र से पहला लोकसभा का चुनाव जीता और संसद पहुंचे। जी हाँ और लोकसभा के चुनाव को जीतने के बाद उनके सितारे इतने बुलंद होते चले गए कि उन्हें साल 1982 में केंद्रीय मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल किया गया। आजाद के करियर में स्वर्णिम युग उस समय आया जब साल 2005 में वह जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। केवल यही नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 21 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं आजाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम, पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। आजाद ने यूपीए-2 की सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा संभाला, इसके अलावा वह नरसिम्हा राव की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री रहे। आजाद का सियासी सफर- 1980 – जम्मू कश्मीर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1980 – वाशिम लोकसभा सीट से लोकसभा पहुंचे। 1982 – लॉ मिनिस्ट्री में डिप्टी मिनिस्टर चुने गए। 1984 – आठवीं लोकसभा में भी लोकसभा पहुंचे 1985-89 – सूचना और प्रसारण मंत्रालय में केंद्रीय उप मंत्री रहे। 1990-1996 – राज्यसभा सदस्य रहे 2006 – जम्मू और कश्मीर विधान सभा के लिए चुने गए। 2008 – जम्मू-कश्मीर भद्रवाह से विधानसभा के लिए दोबारा चुने गए। 2008 – जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। 2009 – राज्यसभा के लिए चुने गए और केंन्द्रीय मंत्री बने। 2014 – राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने। 2015 – पांचवीं बार राज्यसभा सदस्य बने। एक-दूजे से अलग हुए शुभमन-सारा!, एक पोस्ट से मचा बवाल बिना ब्लाउस नजर आई मौनी रॉय, दिल थामकर देंखे ये तस्वीरें 'मुझे भी साथ जाना है', फूट-फूटकर रोते हुए बोली सोनाली फोगाट की बेटी