कौन हैं सीता सोरेन? जिन्हे कहा जा रहा है झारखंड की 'अपर्णा यादव'

रांची: झारखंड की राजनीति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। लाभ के पद मामले में फंसे हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर पहले से ही संकट मंडरा रहा है तथा अब उनकी भाभी सीता सोरेन ने कांग्रेस-JMM सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने प्रश्न खड़े किए बल्कि अक्सर अपनी मांगों को लेकर वो सरकार को असहज करती रही हैं। हेमंत सोरेन के सीता सोरेन के राजनीतिक रिश्ते जगजाहिर हैं। सीता सोरेन के तेवर एवं बगावती रुख को देखर प्रश्न उठ रहे हैं कि क्या वो झारखंड की 'अपर्णा यादव' तो नहीं बनेंगी? 

सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन के बेटे दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं। वो JMM के टिकट पर तीसरी बार झारखंड विधानसभा में पहुंचीं हैं। झारखंड की राजनीति में वो मजबूत पकड़ रखती हैं, किन्तु हेमंत मंत्रिमंडल में उन्हें जगह नहीं मिल सकी। सीता की सियासी महत्वाकांक्षा भी जगजाहिर है। ऐसे में हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ लंबे वक़्त से मोर्चा खोल रखा है। 

सीता सोरेन ने अपनी ही सरकार के अफसरों के कामकाज एवं बर्ताव पर सवाल उठाया है। मंगलवार को उन्होंने आरोप लगाया कि धनबाद के वरीय पुलिस अधीक्षक (SSP) कोयले का अवैध खनन तथा परिवहन करा रहे हैं। इससे रोजाना करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। सीता सोरेन के अनुसार, धनबाद के वरीय पुलिस अधीक्षक की मौन सहमति एवं अप्रत्यक्ष तौर पर समर्थन की वजह से अवैध खनन किए जा रहे हैं। सीता सोरेन ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ED और CISF मुख्यालय से कार्रवाई की मांग की है। हेमंत सोरेन की भाई सीता सोरेन प्रदेश में कोयले के अवैध खनन को लेकर विधानसभा से लेकर सड़क तक आवाज उठाती रही हैं। सीता सोरेन ने बीते दिनों चतरा जिले के टंडवा-पिपरवार इलाके में गैर कानूनी तरीके से वन भूमि का अतिक्रमण कर कोयले के अवैध परिवहन का मामला भी विधानसभा में उठाया था। इस सिलसिले में राजभवन जाकर भी राज्यपाल से शिकायत की थी तथा राष्ट्रपति, पीएम व केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी कार्रवाई की मांग की थी। इस मसले को लेकर उन्होंने विधानसभा के मॉनसून सत्र में मुख्य द्वार पर प्रदर्शन किया था। बता दें कि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार जब से बनी है तब से ही सीता सोरेन निरंतर मोर्चा खोले हुए हैं तथा कई बार अपने बयानों से सरकार को असहज कर चुकी हैं। एक बार वो राज्यपाल रमेश बैस से मिलने चली गई थीं, तत्पश्चात, सूबे की सियासत में तूफान सा आ गया था। हेमंत सोरेन विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। JMM के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी तक को हस्तक्षेप करने की नौबत आ गई थी। 

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