नई दिल्ली: भारत में लगभग हर दिन कोरोना और उसके नए वेरिएंट Omicron के मामलों में उछाल देखा जा रहा है. महाराष्ट्र, दिल्ली, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात जैसे बड़े सूबों में कोरोना की तीसरी लहर के बाद बंदिशें लगाई जा चुकी हैं. भारत में 27 द‍िसंबर से कोरोना मामलों में वृद्धि जारी है. 27 दिसंबर को देश में 6,780 मामले दर्ज किए थे और उसके बाद ये केस लगातार बढ़ते गए. शुरुआत में औसत मौतें नहीं बढ़ रही थीं, मगर केरल को छोड़कर 4 जनवरी से बाकी राज्यों में मौतों की तादाद भी बढ़ने लगीं. मौत की संख्या कम करने के लिए लॉकडाउन प्रभावी माना जाता है. मगर एक सर्वे बता रहा है कि ऐसा करना आवश्यक हो सकता है, किन्तु इससे नुकसान बढ़ेगा. एक लहर की शुरुआत के लिए मार्कर के रूप में 14 दिनों के औसत मामलों में दैनिक बढ़ोतरी को देखा जाता है. इस प्रकार दूसरी लहर केरल के बाहर गत वर्ष 12 फरवरी को शुरू हुई और तीसरी लहर 22 दिसंबर को आरंभ हुई. 27 दिसंबर से रोजाना के कोविड केस में औसत तौर पर वृद्धि हुई है, किन्तु मौतों का सात दिन का औसत आंकड़ा निरंतर बढ़ता नहीं दिख रहा है. गत वर्ष डेल्टा लहर के दौरान केस फैटिलिटी रेट (CFR) 0.64 फीसद दर्ज किया गया था, और अभी ओमिक्रॉन लहर में यह लगभग दसवां हिस्सा 0.07 फीसद है. इस मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रमुख साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उनका स्पष्ट कहना है कि लॉकडाउन समाधान नहीं है. उनके अनुसार, कोरोना संक्रमण और इसके अलग-अलग वेरिएंट्स को लेकर अब विश्वभर में समझ पैदा हो गई है. वैज्ञानिकों को पता है कि इस बीमारी का मुकाबला कैसे करना है. इसके अलावा लोग भी जागरूक हुए हैं. यही कारण है कि लॉकडाउन नहीं लगना चाहिए. 24 की जगह अब 23 जनवरी से शुरू होगा गणतंत्र दिवस समारोह.., पीएम मोदी ने किया ऐलान अब हर 16 जनवरी को मनाया जाएगा National Start-Up Day, जानिए पीएम मोदी ने क्यों किया ये ऐलान पाकिस्तान ने जारी की अपनी पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति, जानिए क्या है खास