मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश भाजपा के नेता और देवरिया से विधायक शलभमणि त्रिपाठी ने मुरादाबाद और बहराइच के पत्रकारों की सूची जारी कर विवाद खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर जारी की गई इन सूचियों में प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम करने वाले पत्रकारों के नाम सम्मिलित हैं। त्रिपाठी ने दावा किया कि ये सभी पत्रकार मुस्लिम समुदाय से हैं और उन्हें 'मीडिया जिहाद' का हिस्सा बताया। उनके इस कदम से पत्रकारिता की निष्पक्षता और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। शलभमणि त्रिपाठी ने सोशल मीडिया साइट X (पूर्व में ट्विटर) पर इस सूची को शेयर करते हुए लिखा, "कंटे छंटे वीडियो एवं तस्वीरों के माध्यम से उत्तर प्रदेश उपचुनाव में जिस मुरादाबाद से सबसे ज्यादा झूठ फैलाया गया, वहां कवरेज कर रहे पत्रकारों की सूची भर देख लीजिए!! #मीडियाजिहाद।" इस सूची में न्यूज 18, रिपब्लिक भारत जैसे प्रमुख मीडिया संस्थानों के अतिरिक्त स्थानीय न्यूज पेपर और चैनलों के नाम भी सम्मिलित हैं। इसके साथ ही, PTI और IANS जैसी समाचार एजेंसियों में भी मुस्लिम समुदाय के पत्रकारों के नाम दिए गए हैं। इस सूची में कुल 32 पत्रकारों के नाम हैं, जो सभी मुस्लिम समुदाय से हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि मुरादाबाद में 100 से ज्यादा मुस्लिम यूट्यूबर एक्टिव हैं। वही इससे पहले, त्रिपाठी ने बहराइच के मुस्लिम पत्रकारों की सूची जारी की थी, जो तब सामने आई थी जब बहराइच में दुर्गा पूजा के पश्चात् प्रतिमा विसर्जन के चलते हमला हुआ था तथा उसके बाद दंगे भड़क उठे थे। उस सूची में भी सभी पत्रकार मुस्लिम समुदाय से थे, चाहे वह मेनस्ट्रीम मीडिया हो या छोटे मीडिया संस्थान। इस लिस्ट को शेयर करते हुए शलभ ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था, "बहराइच से खबरें भेज रहे पत्रकारों के नाम भर पढ़ लीजिए, समझ आ जाएगा कि खबरें कितनी निष्पक्ष और सच्ची हैं। यूट्यूबरों की जमात अलग से जुटी है, पूरा सिस्टम ही दंगाइयों को बचाने एवं झूठ फैलाने में जुटा हुआ है!" वही इस दंगे में गोपाल मिश्रा नामक एक व्यक्ति की हत्या के पश्चात् शलभ ने आगे लिखा, "गोपाल मिश्रा का हरा झंडा उतारने का वीडियो तो सामने आया, मगर उससे पहले उसी घर से दुर्गा प्रतिमा पर हमले, फायरिंग, पथराव एवं इसके बाद गोपाल मिश्रा की नृशंस हत्या का वीडियो क्यों गायब कर दिया गया, इसका जवाब बहराइच के पत्रकारों की इस सूची में छिपा है!" बहराइच वाली सूची में इंडिया टीवी से लेकर पीटीआई एवं ANI तक के पत्रकार मुस्लिम समुदाय से थे। इस सूची में शलभ ने 13 प्रमुख पत्रकारों के नाम जारी किए थे। इसके अतिरिक्त, शलभ ने यह भी दावा किया था कि लिस्ट के वायरल होने के पश्चात् बहराइच के सूचना अफसर वारिस अली को हटा दिया गया था। 'निरंकुश-सरकार की तानी हुई बंदूक भी...', अखिलेश के बयान पर केशव मौर्य का पलटवार आखिर क्यों BJP नेताओं संग केजरीवाल का घर घेरने पहुंचे कैलाश गहलोत? जुलाना में लगे विनेश फोगाट की गुमशुदगी के पोस्टर, लोगों ने किया ये दावा