भारत में 1 मई से 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगानी आरम्भ हो चुकी है। इस के चलते कई ऐसे युवा थे जिन्होंने कोवैक्सिन का टीका लगवाया था। तब उनको ये जानकारी नहीं थी कि उनको कोवैक्सिन का टीका लगवाना इतना भारी पड़ सकता है। कई ऐसे विद्यार्थी हैं जिन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए विदेश में अप्लाई किया है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अप्रूवल प्राप्त होना बाकी है। विद्यार्थियों को भरोसा नहीं है कि वैक्सीन लगाने का उनका ये निर्णय उनके यूएसए और यूके जैसे देशों की यात्रा पर प्रतिबंध लगा देगा। इनमें से कई 12वीं कक्षा के विद्यार्थी हैं, जिन्होंने जल्दबाजी में यह सोचकर टीका लिया कि उन्हें शीघ्र ही बोर्ड के लिए बैठना होगा। स्प्रिंगडेल्स धौला कुआं की खुशी जैन को बीते सप्ताह कोवैक्सिन का फर्स्ट शॉट लगाया गया था। उसने कहा कि उसके माता-पिता उसकी सुरक्षा तथा इस तथ्य के बारे में चिंतित थे कि उसे शारीरिक तौर पर सीबीएसई परीक्षा में बैठना पड़ सकता है, इसलिए कोई सी भी वैक्सीन लगवा दी। जैन ने बताया कि पहली खुराक लेने के पश्चात् ही उन्हें जानकारी मिली कि डब्ल्यूएचओ (WHO) की कोई अनुमति प्राप्त नहीं हुई है तथा अमेरिका ने भी इसे अनुमति नहीं दी थी। उसने कहा कि यदि पहले कहा जाता तो वह फाइजर या जॉनसन एंड जॉनसन की प्रतीक्षा कर सकती थी। यह उनके लिए ठीक नहीं है, जो विदेश जाने की रणनीति बना रहे हैं। यदि सरकार इसे बढ़ावा दे रही है, तो यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उस पर होनी चाहिए कि स्वदेशी वैक्सीन को सभी अनुमति प्राप्त हो जाए। जून और जुलाई में इन दिनों रहेगी बैंक की छुटियाँ, आप भी जल्द निपटा ले अपने जरुरी काम '2020-21 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अंधकारमय साल..' मोदी सरकार पर भड़के चिदंबरम बाराबंकी मस्जिद मामला: FIR पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, योगी सरकार से 3 दिन में माँगा जवाब