नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक अहम टिप्पणी में कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार को भूखे नागरिकों को भोजन मुहैया कराने के लिए हरसंभव उपाय करने चाहिए। देश में कोई भी नागरिक भूख से न मरे, किन्तु राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के बाद भी लोग भूख से मर रहे हैं। बता दें कि शीर्ष अदालत ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है। इस मामले को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह चिंता का विषय है। अदालत ने कहा कि सभी प्रवासी कामगारों को रियायती खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए राशन कार्ड प्रदान किए जाने चाहिए। इसे कैसे लागू किया जाए, इस पर अदालत ने केंद्र सरकार से सुझाव देने के लिए कहा है। प्रवासी कामगारों की समस्या पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की बेंच ने ये टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी कहा कि एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते हमारे देश में दो लोग सबसे अहम हैं- किसान और प्रवासी श्रमिक। अदालत ने कहा कि प्रवासी श्रमिक देश के निर्माण में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें बिलकुल नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कोरोना काल के दौरान प्रवासी श्रमिकों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए स्वतः संज्ञान लेकर शुरू किए गए मामले में न्यायमूर्ति शाह ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में किसान और प्रवासी श्रमिक ये दो वर्ग हैं, जो मदद के पात्र हैं। उनकी मदद में कुछ राज्य पिछड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई राज्य आधे लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाए हैं। जेपी नड्डा ने भाजपा की राज्य इकाइयों में प्रमुखो की नियुक्ति कीं 'युवराज की पेशी तो कांग्रेसी सड़क पर उतरे थे, अब राजमाता जा रही हैं तो भी...': नरोत्तम मिश्रा हर्षवर्धन पलांडे पर हुआ हमला, 2 आरोपी गिरफ्तार