कोलकाता: आज सोमवार (8 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट ने आज संदेशखली हिंसा की CBI जांच के निर्देश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिकाओं को खारिज कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार,, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस निर्देश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निलंबित सदस्य शाहजहां शेख और उनके अनुयायियों द्वारा संदेशखली में भूमि हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच CBI से कराने का आदेश दिया गया था। यही जांच रुकवाने ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमे वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने उनका पक्ष रखा, हालाँकि शीर्ष अदालत ने याचिका ठुकरा दी, जिससे CBI जांच का रास्ता साफ़ हो गया। यह मामला इससे पहले 29 अप्रैल को आया था, जब जस्टिस गवई ने कहा था कि, "किसी (अपराधी) को बचाने में राज्य को इतनी दिलचस्पी क्यों ? जवाब में, ममता सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा था कि राज्य सरकार के बारे में टिप्पणियां थीं, जबकि उसने पूरी कार्रवाई की थी। इसके बाद बंगाल सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर दी गई, इस शर्त के साथ कि याचिका के लंबित रहने का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए आधार के रूप में नहीं किया जाएगा। आज सोमवार को, सिंघवी ने तर्क दिया कि आरोपित निर्देशों में न केवल यौन उत्पीड़न और भूमि हड़पने की घटनाओं को शामिल किया गया है, बल्कि अन्य मामलों को भी शामिल किया गया है, जैसे कि कथित राशन घोटाला जिसके लिए 43 FIR दर्ज किए गए थे। कांग्रेस नेता सिंघवी ने कहा कि, "CBI को दूरगामी निर्देश अधिकतम दो FIR तक सीमित हो सकते हैं, जो ED अधिकारियों से संबंधित हैं। अब आरोपित निर्देश सभी चीजों (जैसे राशन घोटाला) को कवर करते हैं।" हालांकि, अदालत सिंघवी की इस बात से सहमत नहीं थी, क्योंकि उसका मानना था कि सभी FIR संदेशखली से संबंधित थीं और इस तरह, आरोपित आदेश एक सर्वव्यापी आदेश नहीं था। न्यायमूर्ति गवई ने अफसोस जताया कि राज्य सरकार ने कई महीनों तक कुछ नहीं किया, और फिर से एक पुराना सवाल उठाया यानी राज्य को किसी को क्यों बचा रहा है ? इस पर कांग्रेस नेता और वकील सिंघवी ने स्पष्ट किया कि विवादित आदेश में सामूहिक रूप से टिप्पणियां की गई थीं, भले ही कथित राशन घोटाले के संबंध में बहुत काम किया गया था। याचिका को स्वीकार करने के लिए राजी न होने पर पीठ ने अपना आदेश पारित कर दिया। हालांकि, अदालत ने कहा कि विवादित आदेश में की गई टिप्पणियों से CBI को निष्पक्ष रूप से अपनी जांच करने में कोई बाधा नहीं आएगी। बता दें कि, संदेशखली में अशांति तब शुरू हुई जब ED अधिकारियों पर स्थानीय 'बाहुबली' शाहजहां शेख के अनुयायियों द्वारा कथित रूप से हमला किया गया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब यौन उत्पीड़न और भूमि हड़पने की व्यापक रिपोर्टें शाहजहां और उसके अनुयायियों को जिम्मेदार ठहराया गया, जो पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल TMC से जुड़े हुए थे। 13 फरवरी, 2024 को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखली में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न और जबरन कब्जा की गई आदिवासी भूमि पर समाचार पत्रों की रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लिया। सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस की "लुका-छिपी" रणनीति पर चिंता जताई और सार्वजनिक वितरण प्रणाली घोटाले की निष्पक्ष जांच की बात कही, जिसमें TMC नेता शाहजहां शेख एक प्रमुख आरोपी था। हाई कोर्ट ने CBI जांच के आदेश पारित किए और निर्देश दिया कि राज्य सरकार उन लोगों की भूमि वापस करने के लिए एक आयोग का गठन करे, जिनकी भूमि हड़पी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह पीड़ितों को मुआवजा दे, क्योंकि सरकार ने भी स्वीकार कर लिया था कि भूमि वास्तव में हड़पी गई थी। उत्तर 24 परगना के जिला परिषद के कर्माध्यक्ष के रूप में चुने गए शाहजहां शेख संदेशखली से उत्पन्न लगभग 42 आपराधिक मामलों में मुख्य आरोपी थे। लंबे समय तक फरार रहने के बाद हाई कोर्ट में मामला पहुँचने के बाद लगभग 50 दिनों के बाद उन्हें बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। क्या है संदेशखाली विवाद ? बता दें कि, संदेशखाली इलाके में सैकड़ों कि तादाद में महिलाएं, फरार TMC नेता शाहजहां शेख के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं थी। उनका कहना है कि शाहजहां शेख और उसके गुंडे उनका यौन शोषण करते हैं, घरों से महिलाओं को उठा ले जाते हैं और मन भरने पर छोड़ जाते हैं। महिलाओं का कहना है कि, यहाँ रेप और गैंगरेप आम बात है। TMC के गुंडे अपनी महिला कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ते, उन्हें अकेले मीटिंग में बुलाते हैं, धमकी देते हैं कि नहीं आई तो तुम्हारे पति को मार डालेंगे। प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं का कहना है कि, उन्हें (TMC के गुंडों को) जो भी महिला पसंद आ गई, उसे वो घर से उठा ले जाते हैं और रात भर भोगकर, सुबह घर भेज देते हैं। पश्चिम बंगाल की पुलिस TMC के गुंडों की ढाल बन जाती और पीड़ितों को ही दबाती है। जब शाहजहां शेख के फरार होने के बाद ये महिलाएं आवाज़ उठाने लगी हैं तो बंगाल पुलिस ने इलाके में धारा 144 लगा दी थी। मीडिया को वहां जाने नहीं दिया जा रहा था। यहाँ तक कि, गवर्नर जब उन पीड़ित महिलाओं से मिलने जा रहे थे, तो TMC वर्कर्स ने केंद्र सरकार के विरोध के नाम पर उनका काफिला भी रोक दिया गया था। 'ये घमंड ज्यादा दिन नहीं टिकेगा..', राहुल गांधी के किस बयान पर भड़के केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ? 40 वर्षों में पहली बार किसी भारतीय PM का ऑस्ट्रिया दौरा, 3 दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना हुए प्रधानमंत्री मोदी ईरान-पाकिस्तान ने 12 हज़ार अफगानियों को अपने देश से निकाला, फिर भारत में ही क्यों होता है अवैध घुसपैठियों का समर्थन ?