यह खबर निश्चित ही बड़ी है कि म्यांमार की नेता आंग सान सू की रोहिंग्या मुस्लिमों की हिंसा के कारण अपमान का घूंट पीते हुए उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड का प्रतिष्ठित सम्मान ‘फ़्रीडम ऑफ़ द सिटी ऑफ ऑक्सफ़ोर्ड अवार्ड’ वापस लौटाना पड़ा है. आंग सान सू की को 1997 में यह पुरस्कार दिया गया था. पुरस्कार पाकर उसे लौटाना बेहद शर्मिंदगी के क्षण हैं. उल्लेखनीय है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा और उस पर सू की के रुख की लगातार आलोचना हो रही है. यही कारण है कि काउंसिल ने उनसे यह पुरस्कार वापस लेने का फ़ैसला किया. बता दें कि फ्रीडम ऑफ़ द सिटी अवार्ड’, ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़े किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति या किसी मशहूर हस्ती को दिया जाता है. आंग सान सू की ने1964 से 1967 के बीच यहां के सैंट ह्यू कॉलेज से राजनीति, दर्शनशास्त्र और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी. 2012 में सू की को ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी दी थी. इस बारे में पुरस्कार वापस लेने का प्रस्ताव रखने वाली काउंसलर मैरी क्लार्क्सन ने कहा कि ऑक्सफ़ोर्ड शहर की परंपरा विविध और मानवीय रही है. हिंसा को अनदेखा करने वालों ने हमारी प्रतिष्ठा को कलंकित किया है. उन्होंने इस कार्य को रोहिंग्या मुसलमानों के मानवाधिकारों और न्याय की मांग कर रहे लोगों के पक्ष में अपनी आवाज़ उठाने की संज्ञा दी है.इसके पहले सितंबर में सैंट ह्यू कॉलेज की गवर्निंग बॉडी ने अपने मुख्य प्रवेश मार्ग से उनकी तस्वीर हटाने का फ़ैसला किया था. पोप फ्रांसिस की सेना प्रमुख से मुलाकात रोहिंग्या शरणार्थियों की घर वापसी के लिए हुआ समझौता