घर में क्यों रखे जाते हैं पीतल के बर्तन? जान लेंगे तो हो जाएंगे हैरान

भारतीय परंपरा के अनुसार, घर में पीतल के बर्तन रखना शुभ माना जाता है। सेहत की दृष्टि से पीतल के बर्तनों में तैयार किया गया भोजन स्वादिष्ट तुष्टि-प्रदाता होता है और इससे आरोग्य और शरीर को तेज प्राप्त होता है। पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है जिससे गैस और अन्य ऊर्जा की खपत कम होती है। पीतल के बर्तन दूसरे बर्तन के मुकाबले अधिक मजबूत भी होते हैं। पीतल के कलश में रखा जल बेहद ऊर्जा प्रदान करता है।

पीतल या ब्रास एक मिश्रित धातु है। पीतल का निर्माण तांबा व जस्ता को मिलाकर किया जाता है। पीतल शब्द पीत से बना है और संस्कृत में पीत का अर्थ पीला होता है, इसके साथ ही धार्मिक दृष्टि से पीला रंग भगवान विष्णु को संबोधित करता है। सनातन धर्म में पूजा-पाठ व धार्मिक कर्म हेतु पीतल के बर्तन का ही इस्तेमाल किया जाता है। वेदों के खंड आयुर्वेद में बताया गया है कि पीतल के पात्रों को भगवान धन्वं‍तरि का अतिप्रिय हैं। शास्त्र महाभारत में वर्णित एक वृत्तांत के मुताबिक, सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षय पात्र वरदान के रूप में दिया था जिसकी खासियत थी कि जब तक द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दे, खाना कम नहीं होता था।

पीतल के पात्रों का महत्व ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों में भी कई जगह बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सुवर्ण व पीतल की ही भांति पीला रंग देवगुरु बृहस्पति का भी प्रतिनिधित्व करता है और ज्योतिष सिद्धांत के मुताबिक, पीतल धातु पर देवगुरु बृहस्पति का आधिपत्य होता है। बृहस्पति ग्रह की शांति हेतु पीतल का इस्तेमाल किया जाता है।

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