नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने जन प्रतिनिधित्व कानून के एक प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से तलब किया है। प्रधान न्यायाधीश (CJI) उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने गृह मंत्रालय (MHA) व चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। सोमवार (31 अक्टूबर) को मामले की सुनवाई के दौरान याचिका पर वकील जोहेब हुसैन ने पक्ष रखा। यह जनहित याचिका राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य प्रसन्ना भट्टाचार्य की तरफ से दाखिल की गई है। इसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62 (5) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है, जो जेल में बंद व्यक्ति को चुनाव में मतदान करने से रोकती है। बेंच ने जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई 29 दिसंबर को मुक़र्रर की है। जन प्रतिनिधित्व कानून,1951 की धारा 62 (5) के मुताबिक, न्यायिक आदेश से जेल में बंद या पुलिस हिरासत में होने वाले व्यक्ति को वोट देने का अधिकार नहीं है। ऐसे व्यक्ति वोट तभी दे सकते हैं जब वह निषेधाज्ञा में निरुद्ध किए गए हों। निरुद्ध व्यक्ति को ही चुनाव में वोट डालने की इजाजत मिलती है। बता दें कि 2019 में दिल्ली उच्च न्यायलय ने प्रवीण कुमार चौधरी बनाम निर्वाचन आयोग मामले में कहा था कि वोटिंग का अधिकार कानूनी अधिकार है और कैदी चुनाव में वोट नहीं कर सकता। अदालत ने यह माना वोट का अधिकार लोकतंत्र का मूल है, मगर कुछ आधारों पर इस अधिकार से वंचित किया जा सकता है। यह कहकर अदालत ने धारा 62(5) को उचित ठहराया। आतंकी पिंका के साथ दिखे अकाल तख़्त के जत्थेदार, 1984 में इसी ने हाईजैक की थी फ्लाइट मोरबी ब्रिज हादसे में 4 गिरफ्तार, 5 को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही पुलिस 'चिराग पासवान पहले से ही NDA का हिस्सा..', LJP-BJP के रिश्ते पर बोले सीएम नितीश