समाज निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। हमारे देश में एक से बढ़कर एक शिक्षक हुए है और जिस शिक्षक को आज पूरा देश मानता है और जिसके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है उनका नाम है डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन। हालांकि सवाल यह उठता है कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को आखिर क्यों शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है ? तो आइए आज इस पर बात करते हैं। शिक्षक दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन भारत के महान शिक्षक रहे डॉ सर्वपल्ली से एक बार उनके कुछ छात्रों और उनके कुछ मित्रों ने उनके जन्मदिवस को मनाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हम आपका जन्मदिन मनाना चाहते हैं। इस पर सर्वपल्ली ने उन्हें एक विचित्र उत्तर दिया। हालांकि यह उत्तर आगे जाकर साकार हुआ। उन्होंने कहा कि मेरा जन्मदिन ऐसे ही मनाने के बजाय अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह क्षण मेरे लिए गौरवपूर्ण होगा। इस तरह 5 सितंबर को यानी कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा। कौन थे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ? डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 में हुआ था। वे एक महान शिक्षक और दार्शनिक थे। आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी वे रह चुके हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य है और इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे भारत के पहले नागरिक होने के बाद भी खुद को एक शिक्षक कहलाना ही पसंद करते थे। भारत के दूसरे राष्ट्रपति रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 17 अप्रैल 1975 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। शिक्षक दिवस : जानिए इसका इतिहास, पहली बार कब मनाया था शिक्षक दिवस ? डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को पुजारी बनाना चाहते थे पिता, जानिए उनसे जुड़ीं ख़ास बातें ? 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस ?