कहते हैं नारियल को भारतीय सभ्यता में शुभ और मंगलकारी कहते हैं और इसी कारण से पूजा पाठ और मंगल कार्यो में इसका उपयोग करते है. जी हाँ, हिन्दू धर्म में नारियल सौभाग्य और समृद्धि की निशानी होती है और नारियल का इस पृथ्वी का सबसे पवित्र फल माना जाता यही इसलिए इस फल को हर शुभ काम में काम में लिए जाता है. जी हाँ, ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे है की आखिर हर शुभ काम में नारियल क्यों फोड़ा जाता है. जी दरअसल ऋषीविश्वमित्र को नारियल का निर्माता माना जाता है इसकी ऊपरी सख्त सतह दिखती है किसी भी काम में सफलता हासिल करने के लिए आपको मेहनत करनी होती है और इसके अंदर नरम सतह होती है और उसके अंदर जो पानी होता है उसे बहुत पवित्र माना जाता है. इसी के साथ कहते हैं कि इस पानी में किसी तरह की कोई मिलावट नहीं होती है. मान्यता है कि नारियल को भगवान के सामने तोडना मतलब अपने अहंकार को तोडना इसका पवित्र पानी जब चारो तरफ फैलता है इससे नकारात्मक शक्तिया दूर हो जाती है नारियल में मौजूद तीन आंखे भगवान शिव की आंखें मानी जाती है. कहते है ये आपकी मन की हर मुराद पूरी करता है. इसी के साथ नारियल को संस्कृत में श्री फल भी कहा जाता है जिसका मतलब है लक्ष्मी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मी के बिना कोई भी शुभ काम नहीं होता इसलिए शुभ कार्यो में नारियल का इस्तेमाल अवश्य किया जाता है नारियल के पेड़ को संस्कृत में 'कल्पवृक्ष' भी कहा जाता है' कल्पवृक्ष' सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है. जी हाँ, इस वजह से नारियल को शुभ फल माना जाता है और इस फल को पूजा में लगातार उपयोग में लिया जाता है. भूलकर भी इस समय ना बनाए शारीरिक संबंध वरना होगा जान का खतरा वरूथिनी एकादशी पर जरूर गाये यह पावन आरती इस वरूथिनी एकादशी पर जरूर गाये यह दो भजन