चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, जिनका परिवार 1952 से कांग्रेस से जुड़ा रहा है। उनके बेटे चिरंजीवी यादव को हाल ही में रेवाड़ी विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, जिससे अजय यादव ने कांग्रेस के भीतर अपनी नाराजगी स्पष्ट रूप से व्यक्त की। सूत्रों के अनुसार, अजय यादव ने इस हार के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और अपनी चिंताएँ साझा कीं। उन्होंने राहुल गांधी से भी भेंट की और बताया कि OBC विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद उनकी बातों को अनदेखा किया गया। उन्होंने कहा कि न तो टिकट वितरण में उनकी राय मानी गई और न ही हरियाणा में पार्टी की स्थिति का आकलन किया गया। राहुल गांधी ने जवाब में कहा कि अगर वह अपने बेटे की सीट नहीं जीतवा सके, तो वे देशभर में टिकट वितरण की जिम्मेदारी कैसे ले सकते हैं। इस प्रतिक्रिया से आहत होकर अजय यादव ने पार्टी से इस्तीफा देने का फैसला किया और मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि OBC विभाग के अध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें और उनके समुदाय को कांग्रेस पार्टी में अनदेखा किया गया। अजय यादव का इस्तीफा कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि वे पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और छह बार विधायक रह चुके हैं। उनके बेटे, चिरंजीवी यादव, जो हाल ही में विधानसभा चुनाव हार गए थे, अभी भी कांग्रेस के राजस्थान के सह प्रभारी और एआईसीसी सचिव के पद पर बने हुए हैं। अजय यादव के परिवार का कांग्रेस से जुड़ाव 1952 में उनके पिता अभय यादव के विधायक बनने के समय से है। इसके बाद से उनका परिवार कांग्रेस पार्टी में सक्रिय रहा। अजय यादव खुद छह बार विधायक रहे और हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष भी बने। उनका बेटा चिरंजीवी यादव, जो इस बार चुनावी मैदान में उतरे थे, अपने पिता के विजयरथ को जारी नहीं रख सके और हार का सामना किया। इस घटना के बाद सवाल उठ रहे हैं कि राहुल गांधी जो संसद से लेकर सड़कों तक OBC समुदाय की बात करते हैं, वे अपनी ही पार्टी के OBC नेता का सम्मान नहीं करते हैं। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि OBC समाज कांग्रेस और राहुल गांधी पर कैसे विश्वास करे। 1952 से कांग्रेस के प्रति वफादार रहे परिवार का इस तरह पार्टी से जाना एक गंभीर संकेत है। यह घटना यह भी दिखाती है कि पार्टी के वरिष्ठ और पुराने नेताओं का सम्मान नहीं हो रहा है, फिर चाहे वो पार्टी में 50 सालों तक सेवाएं देने वाले गुलाम नबी आज़ाद हों या कांग्रेस नेताओं को कई कानूनी पचड़ों से निकालने वाले कपिल सिब्बल। 'छोटे भाई से हलाला कर, तभी रखूंगा..', भरी पंचायत में शौहर ने कही ऐसी बात.. सोमनाथ में मस्जिद-दरगाह तोड़ना सही या गलत? मुस्लिम पक्ष की याचिका पर SC में सुनवाई यूपी उपचुनाव: कांग्रेस 5 सीट पर अड़ी, सपा बोली- 2 से ज्यादा नहीं !