आज शहीद- ए-आज़म भगत सिंह का जन्मदिवस है, 1907 में आज ही के दिन अविभाजित भारत के पंजाब में भगत का जन्म हुआ था। यहां मैं आपको बता दूँ कि मैंने जयंती की जगह जन्मदिवस का प्रयोग इसलिए किया है, क्योंकि भगत जैसे वीर कभी मरते नहीं, वो जिन्दा रहते हैं अपने विचारों में....। ऐसे ही उनके विचार उस लेख में देखने को मिलते हैं, जो उन्होंने जेल में रहने के दौरान लिखा था और यह 27 सितम्बर 1931 को लाहौर के अखबार 'द पीपल' में प्रकाशित किया गया था। इस लेख में भगतसिंह ने ईश्वर के अस्तित्व पर अनेक तर्कपूर्ण सवाल खड़े किए हैं और इस संसार के निर्माण , मनुष्य के जन्म , मनुष्य के मन में ईश्वर की कल्पना के साथ साथ जगत में मानव की दीनता, उसके शोषण, विश्व में व्याप्त अराजकता और और वर्गभेद की स्थितियों का भी भली-भांति विश्लेषण किया है। यह भगत सिंह के लेखन के सबसे चर्चित लेखों में शुमार रहा है। आज उनके जन्मदिवस के अवसर पर हम आपके लिए लेकर आए हैं भगत सिंह का सबसे चर्चित लेख 'मैं नास्तिक क्यों हूँ ?' एक नया प्रश्न उठ खड़ा हुआ है। क्या मैं किसी अहंकार के कारण सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी तथा सर्वज्ञानी ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास नहीं करता हूँ? मेरे कुछ दोस्त – शायद ऐसा कहकर मैं उन पर बहुत अधिकार नहीं जमा रहा हूँ – मेरे साथ अपने थोड़े से सम्पर्क में इस निष्कर्ष पर पहुँचने के लिये उत्सुक हैं कि मैं ईश्वर के अस्तित्व को नकार कर कुछ ज़रूरत से ज़्यादा आगे जा रहा हूँ और मेरे घमण्ड ने कुछ हद तक मुझे इस अविश्वास के लिये उकसाया है। मैं ऐसी कोई शेखी नहीं बघारता कि मैं मानवीय कमज़ोरियों से बहुत ऊपर हूँ। मैं एक मनुष्य हूँ, और इससे अधिक कुछ नहीं। कोई भी इससे अधिक होने का दावा नहीं कर सकता। यह कमज़ोरी मेरे अन्दर भी है। अहंकार भी मेरे स्वभाव का अंग है। अपने कामरेडो के बीच मुझे निरंकुश कहा जाता था। यहाँ तक कि मेरे दोस्त श्री बटुकेश्वर कुमार दत्त भी मुझे कभी-कभी ऐसा कहते थे। कई मौकों पर स्वेच्छाचारी कह मेरी निन्दा भी की गयी। कुछ दोस्तों को शिकायत है, और गम्भीर रूप से है कि मैं अनचाहे ही अपने विचार, उन पर थोपता हूँ और अपने प्रस्तावों को मनवा लेता हूँ। यह बात कुछ हद तक सही है। इससे मैं इनकार नहीं करता। इसे अहंकार कहा जा सकता है। जहाँ तक अन्य प्रचलित मतों के मुकाबले हमारे अपने मत का सवाल है। मुझे निश्चय ही अपने मत पर गर्व है। लेकिन यह व्यक्तिगत नहीं है। ऐसा हो सकता है कि यह केवल अपने विश्वास के प्रति न्यायोचित गर्व हो और इसको घमण्ड नहीं कहा जा सकता। घमण्ड तो स्वयं के प्रति अनुचित गर्व की अधिकता है। क्या यह अनुचित गर्व है, जो मुझे नास्तिकता की ओर ले गया? अथवा इस विषय का खूब सावधानी से अध्ययन करने और उस पर खूब विचार करने के बाद मैंने ईश्वर पर अविश्वास किया? मैं यह समझने में पूरी तरह से असफल रहा हूँ कि अनुचित गर्व या वृथाभिमान किस तरह किसी व्यक्ति के ईश्वर में विश्वास करने के रास्ते में रोड़ा बन सकता है? किसी वास्तव में महान व्यक्ति की महानता को मैं मान्यता न दूँ – यह तभी हो सकता है, जब मुझे भी थोड़ा ऐसा यश प्राप्त हो गया हो जिसके या तो मैं योग्य नहीं हूँ या मेरे अन्दर वे गुण नहीं हैं, जो इसके लिये आवश्यक हैं। यहाँ तक तो समझ में आता है। लेकिन यह कैसे हो सकता है कि एक व्यक्ति, जो ईश्वर में विश्वास रखता हो, सहसा अपने व्यक्तिगत अहंकार के कारण उसमें विश्वास करना बन्द कर दे? दो ही रास्ते सम्भव हैं। या तो मनुष्य अपने को ईश्वर का प्रतिद्वन्द्वी समझने लगे या वह स्वयं को ही ईश्वर मानना शुरू कर दे। इन दोनो ही अवस्थाओं में वह सच्चा नास्तिक नहीं बन सकता। पहली अवस्था में तो वह अपने प्रतिद्वन्द्वी के अस्तित्व को नकारता ही नहीं है। दूसरी अवस्था में भी वह एक ऐसी चेतना के अस्तित्व को मानता है, जो पर्दे के पीछे से प्रकृति की सभी गतिविधियों का संचालन करती है। मैं तो उस सर्वशक्तिमान परम आत्मा के अस्तित्व से ही इनकार करता हूँ। यह अहंकार नहीं है, जिसने मुझे नास्तिकता के सिद्धान्त को ग्रहण करने के लिये प्रेरित किया। मैं न तो एक प्रतिद्वन्द्वी हूँ, न ही एक अवतार और न ही स्वयं परमात्मा। इस अभियोग को अस्वीकार करने के लिये आइए तथ्यों पर गौर करें। मेरे इन दोस्तों के अनुसार, दिल्ली बम केस और लाहौर षडयन्त्र केस के दौरान मुझे जो अनावश्यक यश मिला, शायद उस कारण मैं वृथाभिमानी हो गया हूँ। Koo App मां भारती के वीर सपूत अमर बलिदानी शहीद भगत सिंह जी के जयंती पर उन्हें विनम्र अभिवादन। View attached media content - Nitin Gadkari (@nitin.gadkari) 28 Sep 2022 Koo App माँ भारती की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले परम राष्ट्रभक्त, वीर बलिदानी भगत सिंह जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन। मोदी सरकार द्वारा चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम बदलकर करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत भगत सिंह जी के नाम पर करना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। View attached media content - Piyush Goyal (@piyushgoyal) 28 Sep 2022 Koo App भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, उत्कृष्ट लेखक, अद्वितीय चिंतक, अमर क्रांतिकारी भगत सिंह को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि! माँ भारती की स्वाधीनता हेतु उनका अभूतपूर्व बलिदान सदियों तक राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा। View attached media content - Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 28 Sep 2022 Koo App ”व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते” महान क्रांतिकारी, साहस व शौर्य की प्रतिमूर्ति, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर बलिदानी भारत माँ के वीर सपूत एवं समस्त देशवासियों के प्रेरणास्रोत शहीद-ए-आजम भगत सिंह जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन। देश को आजादी दिलाने में उनके बलिदान एवं समर्पण को राष्ट्र सदैव याद रखेगा और युवाओं को उनसे प्रेरणा मिलेगी। #Shaheed #BhagatSingh View attached media content - Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) 28 Sep 2022 Koo App Humble tributes to Shaheed Bhagat Singh ji on his birth anniversary. His true devotion towards our Motherland will remain an inspiration forever. View attached media content - Arjun Munda (@arjunmunda) 28 Sep 2022 एक तरह से देखा जाए तो भगत सिंह की नास्तिकता में भी आस्तिकता नज़र आती है, क्योंकि यदि कोई किसी बात को तथ्यों पर परखकर, जान-समझकर, उसमे अपना विवेक लगाकर किसी चीज़ या बात को स्वीकार या अस्वीकार करता है, तो उसे नास्तिक कैसे कहा जाता है। हालाँकि, यह बहस का विषय भी नहीं है कि, भगत सिंह आस्तिक थे या नास्तिक ? क्योंकि भारत में आपकी आस्तिकता और नास्तिकता से कई अधिक आपके कर्मों को प्रधानता दी जाती है, और भगत सिंह के कर्म पहले दर्जे के थे तथा उनके विचार भी। मोदी सरकार ने कट्टरपंथी संगठन PFI पर लगाया बैन, आतंकियों से ज्यादा खतरनाक थे मंसूबे PFI के खिलाफ एक्शन से भड़क सकती है हिंसा, जामिया में धारा 144 लागू EWS कोटा पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, क्या आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को मिलेगा लाभ ?