नई दिल्ली: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों के कुछ ही महीनों पहले, आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने महिलाओं को लुभाने के लिए ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ का ऐलान किया है। इस योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु की प्रत्येक पात्र महिला को हर महीने 1,000 रुपये दिए जाएंगे। इस योजना के लिए दिल्ली सरकार ने सालाना 4,560 करोड़ रुपये का बजट आवंटित करने की घोषणा की है। हालांकि, योजना की टाइमिंग और इसकी व्यवहार्यता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। AAP सरकार बीते 10 वर्षों से दिल्ली की सत्ता में है। ऐसे में सवाल यह है कि महिलाओं के लिए यह योजना पहले क्यों नहीं लाई गई? केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद हर्ष मल्होत्रा ने इस पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा, "केजरीवाल को यह योजना 10 साल पहले लानी चाहिए थी, जब उनकी पार्टी सत्ता में आई थी। अब चुनाव नजदीक आने पर उन्हें महिलाओं की चिंता हो रही है। यह सिर्फ झूठ और धोखा है, जैसा कि उन्होंने 2020 में आयुष्मान भारत योजना के साथ किया था।" दिल्ली सरकार ने 12 दिसंबर को इस योजना को मंजूरी दी और 13 दिसंबर को इसकी अधिसूचना जारी कर दी। लेकिन दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने स्पष्ट किया कि योजना का कार्यान्वयन तुरंत नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया पर काम चल रहा है और इसे शुरू होने में 7-10 दिन लग सकते हैं। अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से पहले फंड ट्रांसफर संभव नहीं होगा। उनका तर्क है कि चुनावी आचार संहिता लागू होने से यह प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। ऐसे में यह भी स्पष्ट नहीं है कि योजना का लाभ महिलाओं को कब मिलेगा। AAP सरकार का दावा है कि यह योजना महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए है। आतिशी ने कहा, "हमारी सरकार एकलौती ऐसी सरकार है जो समझती है कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र न होने पर महिलाओं को पुरुषों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस दर्द को समझते हुए मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना लाई जा रही है।" हालांकि, आलोचक इसे चुनावों के मद्देनजर एक राजनीतिक दांव बता रहे हैं। हालाँकि, इस योजना के पंजीकरण और फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया को पूरी तरह लागू करने में 3-4 महीने का वक्त लग सकता है। यह वह समय है जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुके होंगे। ऐसे में चुनावों के बाद अगर AAP सरकार सत्ता में नहीं लौटती, तो यह योजना पूरी तरह ठंडे बस्ते में जा सकती है। मौजूदा समय में AAP सरकार पर इस योजना को लागू करने की कोई जिम्मेदारी नहीं है। अगर वे फिर से चुनाव जीतते हैं, तभी इस वादे को पूरा करने का दबाव होगा। हालाँकि, आलोचकों ने AAP द्वारा कई बार यमुना को साफ़ करने के वादे की याद दिलाते हुए इसे भी झूठा वादा बताया है। महिला सम्मान योजना के ऐलान की टाइमिंग ने AAP सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्यों यह योजना 10 वर्षों तक नहीं आई? क्या चुनावी लाभ उठाने के लिए इसे जल्दबाजी में तैयार किया गया? फिलहाल यह योजना कागजों तक ही सीमित है। पंजीकरण प्रक्रिया, फंड ट्रांसफर और बजट आवंटन की व्यवहार्यता पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। चुनावों से पहले इसका लाभ महिलाओं तक पहुंचने की संभावना कम है। महिला सम्मान योजना के ऐलान से AAP सरकार ने चुनावों से पहले बड़ा दांव खेला है। लेकिन इसके कार्यान्वयन में हो रही देरी और पिछले वादों की विफलता ने इसे लेकर संदेह पैदा कर दिया है। अगर यह सिर्फ चुनावी रणनीति है, तो जनता इसे पहचानने में सक्षम है। अब देखना यह है कि दिल्ली की महिलाएं इस वादे पर कितना भरोसा करती हैं और चुनावों में इसका क्या असर पड़ता है। सपा-सांसद जियाउर रहमान के घर के पास मिला शिव मंदिर, 48 सालों से था बंद संजय गांधी ने अपनी माँ इंदिरा को मारे 6 थप्पड़..? आपातकाल का अनसुना किस्सा कैसे खत्म होगी भारत में से गरीबी, आखिर क्यों है देश में इतने गरीब?