महाभारत के सभी पात्रों में भगवान कृष्ण व अर्जुन को मुख्य माना जाता है. अर्जुन को श्रेष्ठ धनुर्धर की उपाधि प्राप्त थी, लेकिन क्या आप जानते है कि अर्जुन से भी अच्छा एक धनुर्धर एकलव्य था. जो एक भील पुत्र था, जिसने अपनी शिक्षा के लिए गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा का निर्माण कर उसी के समक्ष अपनी शिक्षा पूर्ण की थी. जब गुरु द्रोणाचार्य को इस बात का ज्ञान हुआ तब उन्होंने एकलव्य से गुरु दक्षिणा के रूप में उनके दाहिने हांथ का अंगूठा मांग लिया जिसे सहर्ष ही एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को दे दिया था. गुरु द्रोणाचार्य के द्वारा अंगूठा मांगने का कारण - गुरु द्रोणाचार्य के द्वारा एकलव्य से उसका अंगूठा मांगने का मुख्य कारण यह था, की फिर कभी वह धनुष न चला सके जिससे कि अर्जुन श्रेष्ठ धनुर्धर बने रहे. भगवान कृष्ण ने किया छल –एकलव्य का वध भगवान कृष्ण ने छल से किया था. भगवान कृष्ण अर्जुन के परममित्र थे. इसी मोह में वशीभूत होकर उन्होंने एकलव्य को छल से मार दिया. जिससे कि संसार अर्जुन को श्रेष्ठ धनुर्धर माने व इस कार्य में गुरु द्रोणाचार्य ने भगवान कृष्ण की सहायता एकलव्य का अंगूठा मांगकर की थी. पराक्रमी एकलव्य – एकलव्य बहुत पराक्रमी योद्धा था. जिसने जरासंध की सेना के साथ मथुरा पर आक्रमण कर यादव वंश का नाश कर दिया था. अपनी चार उंगलियों के सहारे ही वह बहुत कुशलता से धनुष बाण चलाने में सक्षम था, जिसे देखकर भगवान कृष्ण भी हैरान हो गए थे. एकलव्य का वध – जिस समय एकलव्य यादवों का अंत कर रहा था, इसे देखकर भगवान कृष्ण ने युद्ध में भाग लिया व छल से एकलव्य का वध कर दिया, इस युद्ध में एकलव्य के पुत्र केतुमान को भीम ने मार दिया. भगवान कृष्ण ने ऐसा इसलिए किया कि आने वाले युद्ध में अर्जुन के समक्ष किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो. नवरात्री मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा जो शायद आप नहीं जानते होंगे यह पांच काम जो अनजाने में किये गए पापों से दिलाते है मुक्ति बहुत ही कम लोग महाभारत युद्ध के इस सत्य को जानते है स्त्री के बालों को लेकर शास्त्र में कही गई ये जरुरी बात