राहुल गांधी की टीम को अमेरिकी प्रेस क्लब ने क्यों लताड़ा? मौन है भारतीय मीडिया

नई दिल्ली: अमेरिका में राहुल गांधी के एक कार्यक्रम से पहले इंडिया टुडे के पत्रकार रोहित शर्मा के साथ हुई मारपीट का मामला काफी तूल पकड़ चुका है। अमेरिका के नेशनल प्रेस क्लब (NPC) ने इस घटना पर बयान जारी करते हुए कहा है कि पत्रकार के साथ हुई बदसलूकी अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन है। NPC की अध्यक्ष एमिली विल्किंस ने बयान में कहा कि राहुल गांधी की टीम को किसी भी पत्रकार के साथ मारपीट करने या उसका फोन छीनने का कोई अधिकार नहीं था।

 

विल्किंस ने बताया कि इंडिया टुडे की रिपोर्ट और NPC बोर्ड के एक सदस्य के बीच हुई बातचीत से यह स्पष्ट हुआ कि पत्रकार रोहित शर्मा डलास हवाई अड्डे के पास एक होटल में राहुल गांधी का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सैम पित्रोदा का इंटरव्यू लिया, जो पूर्व निर्धारित था और रिकॉर्डिंग की सहमति से हुआ। लेकिन इंटरव्यू के अंतिम सवाल पर दर्शकों में मौजूद राहुल गांधी के स्टाफ और समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया। शर्मा से उनका फोन छीन लिया गया, धक्का दिया गया और इंटरव्यू की फाइलें जबरन डिलीट कर दी गईं। NPC ने इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि अमेरिका में पत्रकारों को संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है, जिसका उल्लंघन राहुल गांधी की टीम ने किया है।

इस मामले ने राहुल गांधी और सैम पित्रोदा को घेर लिया है, खासकर उस वक्त जब इंडिया टुडे के पत्रकार ने अपने लेख में बताया कि यह मारपीट इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने हिंदुओं पर एक संवेदनशील सवाल पूछा था। पत्रकार रोहित शर्मा ने बताया कि उन्होंने सैम पित्रोदा से सवाल किया था कि क्या राहुल गांधी अमेरिकी सांसदों के साथ अपनी बैठकों में बांग्लादेश में मारे जा रहे हिंदुओं का मुद्दा उठाएँगे। इस सवाल पर सैम पित्रोदा जवाब देने ही वाले थे कि वहाँ मौजूद राहुल के समर्थकों ने हंगामा खड़ा कर दिया, उनका फोन छीन लिया और इंटरव्यू रोकने की कोशिश की।

 

रोहित शर्मा के मुताबिक, उन्होंने विरोध किया, लेकिन फिर भी उनका फोन छीन लिया गया और उसमें से फाइलें डिलीट कर दी गईं। इतना ही नहीं, उनका फोन चार दिनों तक वापस नहीं किया गया। NPC के बयान और रोहित शर्मा की रिपोर्ट से साफ है कि राहुल गांधी के स्टाफ ने पत्रकार के साथ अनुचित व्यवहार किया और प्रेस स्वतंत्रता का उल्लंघन किया।

हालाँकि, इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जहाँ अमेरिकी प्रेस क्लब भारतीय पत्रकार के लिए आवाज उठा रहा है, वहीं भारतीय प्रेस क्लब और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया चुप्पी साधे बैठे हैं। शायद इस चुप्पी का कारण यह है कि मामला राहुल गांधी से जुड़ा हुआ है, जिनके पूर्वजों ने वर्षों तक देश पर राज किया। भारतीय मीडिया और प्रेस संस्थान शायद इस परिवार के खिलाफ खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं रखते। राहुल गांधी खुद एक प्रेस वार्ता में पत्रकार को बीजेपी का एजेंट बता चुके हैं, और यही रवैया अमेरिका में भी देखने को मिला। सवाल मनमुताबिक हो तो ठीक, वरना पत्रकार पर हमला कर दिया जाता है।  

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