झारखण्ड : करीब 70 सालों से दामोदर घाटी के विस्थापन का दर्द झेल रहे विस्थापितों का आक्रोश चरम पर पहुँच गया और धनबाद में नौ महिलाओं ने दामोदर घाटी निगम द्वारा विस्थापन के बदले में अपने परिवार के किसी व्यक्ति को नौकरी नहीं देने के विरोध में अर्द्धनग्न होकर प्रदर्शन किया और इसी अवस्था की अपनी तस्वीरें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश आदि को भेजकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है. उल्लेखनीय है कि घटवार आदिवासी महासभा के अनुसार वर्ष 1953 से 1956 के बीच दामोदर घाटी परियोजना के लिए 240 गावों के बारह हजार परिवारों से 38 हजार एकड़ भूमि अधिगृहीत की गई थी जिसमें धनबाद, पुरुलिया एवं जामताड़ा जिलों के लोग मुख्य रूप से प्रभावित हुए थे. जिन्हें अब तक कोई नौकरी नहीं दी गई है . बता दें कि घटवार आदिवासी महासभा के सलाहकार रामाश्रय प्रसाद सिंह के अनुसार कई दशक तक न्याय पाने के लिए दर दर भटकने के बाद धनबाद में रह रही दामोदर घाटी परियोजना से विस्थापित परिवार की नौ महिलाओं ने चार दिसंबर को अर्द्धनग्न होकर अपनी मांगों के पोस्टरों से शरीर को ढंक कर प्रदर्शन किया था. उन्हीं तस्वीर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा गया था. हालाँकि जिला प्रशासन ने इस घटनाक्रम से अनभिज्ञता जाहिर की है , जबकि विस्थपितों ने कार्रवाई नहीं होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. यह भी देखें आदिवासी एरिया को अलग देश बनाने के लिए कर रहे थे मीटिंग एयर होस्टेस बनने झारखण्ड से कोलकाता आई युवती लापता