इसलिए लगाई जाती है मंदिर में परिक्रमा

जब भी आप मंदिर जाते हैं तो आपने कई लोगों को मंदिर की परिक्रमा करते देखा होगा या फिर आपने भी कई बार मंदिर की परिक्रमा लगाई होगी. इसके अलावा भी आपने लोगों को सुबह-सुबह सूर्य पूजा के दौरान भी गोल-गोल घूमते देखा होगा. लेकिन कभी आपने इस बात को गहराई से सोचा है या फिर ये जानने की कोशिश की हैं कि आखिर लोग ऐसा करते क्यों हैं.

आज हम आपको बतांएगे इससे जुडी कई सारी ऐसी बातें जिन्हें आपने आज तक शायद ही सुनी होंगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा गया है कि मंदिर और भगवान की मूर्ति के आसपास परिक्रमा करने से सकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है और मन को शांति मिलती है. साथ ही यह भी मान्यता है कि नंगे पांव परिक्रमा करने से अधिक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.

इसके अलावा यह भी कहा गया है कि जब भगवान गणेश जी ने अपने भाई कार्तिकेय के साथ पूरी सृष्टि के चक्कर लगाने की शर्त रखी थी तभी उन्होंने अपनी चतुराई से पिता शिव और माता पार्वती के तीन चक्कर लगाए थे और उन्हें विजय प्राप्त हुई थी क्योंकि पूरी सृष्टि माता पिता के चरणों में ही हैं. इसी वजह से भी लोग पूजा के बाद संसार के निर्माता के चक्कर लगाते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि परिक्रमा करने से घर में धन-समृद्धि आती हैं और जीवन में खुशियां बनी रहती हैं. कहा गया है कि हमेशा परिक्रमा करते वक्त भगवान दाएं हाथ की तरफ होने चाहिए इसे शुभ माना माना गया है.

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