दिवाली पर क्यों होती है उल्लू की तस्करी?, वन विभाग ने जारी किया अलर्ट

देहरादून: दिवाली के नजदीक आते ही उल्लू पर खतरा मंडराने लगता है। दरअसल, इस वक़्त उल्लू की तस्करी उत्तराखंड के जंगलों में बढ़ जाती है। इसे रोकने के लिए वन विभाग ने तिमली रेंज के जंगलों में रात-दिन गश्त बढ़ा दी है। तस्करों की हरकतों को असफल करने के लिए वन विभाग की टीमें चौकस हो गई हैं। दिवाली के अवसर पर पूजा के साथ-साथ अंधविश्वास के चलते उल्लू की तस्करी में बढ़ोतरी होती है। कुछ लोगों का मानना है कि उल्लू के अंगों का उपयोग तंत्र-मंत्र में होता है, इसी वजह से दिवाली के चलते उल्लू की तस्करी आरम्भ हो जाती है। इसके लिए वन्यजीव तस्कर उत्तराखंड के जंगलों में सक्रिय हो जाते हैं। तिमली रेंज कई प्रदेशों की सीमाओं से सटी हुई है, जो इसे शिकारियों एवं तस्करों का खास ठिकाना बनाती है।

उत्तराखंड का तिमली वन क्षेत्र उल्लू की तस्करी के लिए एक प्रमुख ठिकाना बन चुका है। इसे देखते हुए वन विभाग ने गश्त बढ़ा दी है। कालसी वन प्रभाग के अंतर्गत तिमली रेंज में वन विभाग की कई टीमें रात भर गश्त कर रही हैं। ये टीमें शिकारियों को पकड़ने एवं उल्लू की तस्करी रोकने के लिए सक्रिय हैं। वन क्षेत्राधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि विभाग पूरी तरह से सतर्क है तथा शिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। तिमली क्षेत्र में वन विभाग की सख्त निगरानी के चलते तस्करी के कई कोशिश नाकाम किए गए हैं।

उल्लू की तस्करी की वजह से तिमली रेंज में इस पक्षी की संख्या में भारी कमी देखी गई है। दिवाली के वक़्त उल्लू की कीमत लाखों में पहुंच जाती है, जिससे तस्करों की गतिविधियां तेज हो जाती हैं। वन विभाग ने उल्लू की घटती संख्या को ध्यान में रखते हुए गश्त बढ़ाने एवं तस्करों पर कड़ी नजर रखने का फैसला लिया है। दिवाली के मौके पर तस्करों के बढ़ते खतरे को देखते हुए वन विभाग ने वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए अलर्ट जारी कर दिया है। जंगलों में उल्लू की सुरक्षा के लिए वन विभाग की टीमें तैयार हैं।

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