नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ क्यों बोए जाते हैं जौ या जवारे?

सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व एक विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार मां दुर्गा की उपासना के लिए समर्पित है और पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें भक्तिपूर्ण रस्में और अनुष्ठान होते हैं। वही इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे हैं तथा यह 12 अक्टूबर तक चलेंगे। इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कलश स्थापना और जवारे या जौ बोने की परंपरा है। आइये आपको बताते है नवरात्रि में जौ क्यों उगाए जाते हैं।

नवरात्रि में जौ क्यों उगाए जाते हैं नवरात्रि में मंदिर या घर में कलश स्थापना के पास जौ उगाने की परंपरा है। पूजा स्थल पर इन्हें मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने एक मिट्टी के बर्तन में बोया जाता है। 9 दिनों में ये जवारे हरे-भरे हो जाते हैं, जो खुशहाली एवं सुख-समृद्धि का संकेत देते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, नवरात्रि में जौ इसलिए बोए जाते हैं क्योंकि शास्त्रों में सृष्टि की शुरुआत के पश्चात् पहली फसल जौ मानी गई है। इसीलिए देवी-देवताओं के पूजन में जौ बोना शुभ माना जाता है।

जवारे या जौ बोने की विधि नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते वक़्त एक मिट्टी का प्याला या बर्तन लें तथा इसे साफ पानी से अच्छे से धो लें। मिट्टी के बर्तन में रोली से स्वास्तिक बनाएं एवं इसमें मिट्टी तथा गोबर की सूखी खाद डालें। मिट्टी को गीला करने के लिए पानी का छिड़काव करें। अब एक जौ के दाने प्याले या बर्तन में डालें। इन दानों को हाथों से पूरे बर्तन में फैला दें।

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