नई दिल्ली: प्रति वर्ष 27 अक्टूबर को देश में इन्फेंट्री डे (Infantry day) मनाया जाता है और थल सेना की बहादुरी की कहानियों को याद कर उनके प्रति आभार प्रकट किया जाता है। इसका कारण यह है कि 1947 में आज ही के दिन इंडियन आर्मी के जवानों ने हिंदुस्तान का सिरमौर कहे जाने वाले कश्मीर का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में जाने से बचाया था। आज़ादी के अमृतवर्ष में मन रहा यह Infantry day और भी खास हो जाता है। क्योंकि आज से 75 वर्ष पूर्व, 27 अक्टूबर को ही आजाद हिंदुस्तान में पहली ऐसी सैन्य कार्रवाई हुई थी, जिसमें पैदल सेना यानी इन्फेंट्री ने अपना शौर्य दिखाया था और देश की रक्षा में सबसे अहम भूमिका निभाई थी। बता दें कि देश की सीमाओं की सुरक्षा से लेकर अलग-अलग मोर्चों पर सेना की इस डिविजन ने गजब की बहादुरी का प्रदर्शन किया है। दरअसल, आजादी के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर को हड़पने की साजिश रची थी। 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने लगभग 5 हजार कबायलियों को कश्मीर में घुसपैठ कर वहां कब्जा करने हेतु भेजा था, उस समय कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से सहायता मांगी। इसके बाद महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर दस्तखत किए। तब सेना की सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन से एक पैदल सेना का दस्ता विमान से दिल्ली से श्रीनगर भेजा गया। 27 अक्टूबर, 1947 को भारतीय पैदल सैनिकों ने कश्मीर को कबायलियों के चंगुल से मुक्त करा दिया। बता दें कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ भारतीय सेना का यह पहला फौजी अभियान था, जिसे Infantry ने अंजाम दिया। इस अभियान में शानदार कामयाबी की याद में हर साल 27 अक्टूबर को देश में Infantry day मनाया जाता है। चूंकि इस पूरे सैन्य अभियान में सिर्फ पैदल सेना का ही बड़़ा योगदान था, इसलिए इस दिन को भारतीय थल सेना के पैदल सैनिकों की बहादुरी और साहस के यादगार दिन के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। जतीन्द्रनाथ दास: 63 दिनों की भूख हड़ताल भी जिसका हौसला न तोड़ पाई TRS के 4 विधायकों को खरीदने की कोशिश, 15 करोड़ के साथ 3 हिरासत में मेडिकल ऑफिसर के लिए यहां निकली बंपर भर्तियां