पुष्कर के अलावा कहीं नही है ब्रम्ह देव का दूसरा मंदिर, जानिए वजह

ब्रह्म देव त्रिदेवों में से एक है, जिन्होंने इस सृष्टि की रचना की है. ब्रह्म देव का एक मात्र मंदिर भारत के राजस्थान के पुष्कर में स्थित है, जिसे बहुत ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है. क्या कारण है कि इस संसार में ब्रह्म देव का केवल एक ही मंदिर स्थित है? ऐसे कई सवाल है जो व्यक्ति के मन में कोलाहल का विषय बने हुए है. आज हम आपको ऐसे ही कुछ प्रश्नों के उत्तर देने जा रहे है. जिनका उत्तर पद्म पुराण में देखने को मिलता है. आइये जानते है.

पद्म पुराण में एक कथा का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार एक बार वज्रनाश नाम के एक दानव ने पृथ्वी पर बहुत उत्पात मचा रखा था. उसके इस उत्पात को देखकर ब्रह्म देव ने उस दानव का वध कर दिया. जब ब्रह्म देव ने उस दानव का वध किया तो उनके हाथो से कमल का फूल भूमि पर गिर गया, जिसके कारण वहां तीन झीलों का निर्माण हुआ. जिसे पुष्कर के नाम से जाना गया.

सभी के हितों को ध्यान में रखकर ब्रह्म देव ने इस स्थान पर एक यज्ञ का आयोजन किया. इस यज्ञ में उनकी पत्नी की उपस्थिति आवश्यक थी. किन्तु वह समय पर यहां उपस्थित नहीं हो सकी. तभी ब्रह्म देव ने यज्ञ को पूर्ण करने के लिए गुर्जर जाति की एक स्त्री, गायत्री से विवाह कर यज्ञ बेदी पर बैठ गए व यज्ञ को प्रारंभ किया.

जब ब्रह्म देव की पत्नी उस स्थान पर पहुंची तो वह ब्रह्म देव के बगल में उस स्त्री को देखकर क्रोधित हो गयी व क्रोधवश ब्रह्म देव को श्राप दिया कि इस संसार में कभी-भी आपकी पूजा नहीं की जायेगी और न ही आपके मंदिर का निर्माण किया जाएगा जो भी आपके मंदिर का निर्माण करेगा उसका सर्वनाश हो जाएगा. सावित्री के इस क्रोध को देखकर सभी देवी देवता भयभीत हो गए और उन्होंने सावित्री से अपना श्राप वापस लेने की प्रार्थना करने लगे. तब उन्होंने कहा कि इसी स्थान पर आपके मंदिर का निर्माण होगा और इसी स्थान पर आपका पूजन किया जाएगा. इस कारण से कहीं भी ब्रह्म देव का दूसरा मंदिर स्थापित नहीं है और न ही उनकी पूजा की जाती है. 

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